बूँद बनती जिंदगी

तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… जीवन का आधार है जल हर क्षण हर पल,दूर तक बहती नदी का मीठा पानी कल-कल। जल के भिन्न-भिन्न रूप,अनेक रंग,अनेक है आकारजल से कहीं नदी,कहीं दरिया तो कहीं तालाब है सराबोर। जल नदी रुप में गुनगुनाती लहरों का सुहाना गीत,जैसे कह रहा झर-झर झरते … Read more

हमसे होती तुम्हारी कहानी पूरी

तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… तुम केन्द्र हो तो हम हैं धुरी,हमसे होती तुम्हारी कहानी पूरी,जिनके बिना सृष्टि,और सृष्टि की हर रचना है अधूरी। समस्त पृथ्वी की जीवन-शैली के लिए इनका अस्तित्व है जरूरी,क्या केन्द्र,क्या धुरी,क्या चक्रण,इनका तो हर प्रतीक है चमत्कारी। जन्म से लेकर मृत्यु तक अनेक रूप,रिश्तों में खुद को … Read more

हम-तुम

तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से दो दिलों का मधुर संगीत से ओत-प्रोत तराना,इनकी खुशबू से मनमुग्ध है सारा फ़साना। हमसे शुरू होकर तुम पर खत्म होती इनकी सृष्टि,इसमें है जीवन की सबसे सुंदर,अद्भुत रूप की वृष्टि। दो आत्माओं के सफर को एक माला में पिरोया,जीवन के सौंदर्य के सभी चलचित्रों … Read more

विश्व में शान्ति की पहल जरुरी

तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) *************************************************************** विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष…… विश्व शांति हेतु अथक प्रयास हैं जरूरी,विश्व शांति हेतु ना हो कोई रुकावट,ना मजबूरी।इसके लिए ना होने पाए हावी कोई लाचारी,विश्व शांति हेतु अथक प्रयास हैं जरूरीll विश्व हमारा है तो शांति के लिए प्रयास भी हमारे होंगे,विश्व शांति के लिए ठोस क़दम उठाना होगा।शान्ति के … Read more

सुषमाँ-हमारी माँ

तृप्ति तोमर `तृष्णा` भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस’ १० मई विशेष………. ईश्वर का अलौकिक,दिव्य स्वरूप हैं सुषमाँ, हो गर काँटों का जहां,तो सुषमाँ होती फूलों का समां। सुषमाँ देती हैं हमें मुश्किलों से भरे रास्तों पर चलने की प्रेरणा, कठिन जीवन के संघर्ष में बिखेरती प्यार की करूणा। सुषमाँ है बेरूखी धूप में शीतल वृक्ष … Read more

संभल जाओ मानव अभी भी

डॉ.साधना तोमर बागपत(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. खुद के लिए ही जिए हो सदा तो, आज गमगीन क्यों हो रहे हो ? प्रकृति से छेड़छाड़ करते रहे तुम, अब उसने छेड़ा तो क्यों रो रहे हो ? प्रदूषण दिया सदा इस जगत को, वृक्षों को भी बस काटे जा रहे हो। पशु-पक्षियों … Read more

मत काटो उस डाली को

डॉ.साधना तोमर बागपत(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** मासूमों को सिखा रहे क्यों, आगजनी का खेल तुम। आतंकी साये में जीना, नहीं सिखाते मेल तुम। भारत माँ के आँचल में तुम, कैसी आग लगा रहे हो। जिस थाली में खाया तुमने, सैंध उसी में लगा रहे हो। मानवता नीलाम हुई क्यों, भेदभाव की दीवारें। हिन्दू-मुस्लिम एक सभी हैं, … Read more

समर्पण

डॉ.साधना तोमर बागपत(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** ममता की मूरत होती है माँ, समर्पण की सूरत होती है माँ। कंटक पथ में बिछा दे संतति, फिर भी सदा फूल बोती है माँ॥ भूख से बच्चा यदि बिलबिलाए, मुख का निवाला खिलाती है माँ। खुद भूखी रहकर भी खुश है वह, सूखी छाती से दूध पिलाती है माँ॥ … Read more

निधि खजाना-ए-जिंदगी

तृप्ति तोमर `तृष्णा` भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** जीवन के हर पहलू पर हिम्मत,साहस दिखाया, हर चुनौती को हराकर अपना लक्ष्य हासिल किया। है ये काली घटाओं से उजली किरण का आलम, इनकी शरारतों पर मुस्कुराता खुशनुमा मौसम। रौब,हुकूमत से सजी अनेक अदाएं, हर तरफ फैली खुशियों की फिजाएं। संजीदगी का आँचल लिए ओढ़ी ओढ़नी, छोटी-सी गागर से … Read more

शीत दिवस

तृप्ति तोमर `तृष्णा` भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** शीत दिवस में सबसे मनमोहक दिन, खेलते,गुनगुनाते गुजर जाता पल प्रति दिन। सबके अपने अलग हैं अनोखा आलम, जैसे सारे ऋतुओं,रंगों का हो सुहावना संगम॥ शीत लहरों से दूर तक घिरा सारा मौसम, बिखरे दिन-रात थोड़े सर्द-थोड़े गर्म। गुलाबी रोशनी में सजते कई अदभुत नजारे, कड़कड़ाती धूप में कोहरे का … Read more