भोपाल (मध्यप्रदेश)
जीवन के हर पहलू पर हिम्मत,साहस दिखाया,
हर चुनौती को हराकर अपना लक्ष्य हासिल किया।
है ये काली घटाओं से उजली किरण का आलम,
इनकी शरारतों पर मुस्कुराता खुशनुमा मौसम।
रौब,हुकूमत से सजी अनेक अदाएं,
हर तरफ फैली खुशियों की फिजाएं।
संजीदगी का आँचल लिए ओढ़ी ओढ़नी,
छोटी-सी गागर से बिखेर दी चाँद की चाँदनी।
सोने की शख्सियत से ओत-प्रोत इनकी प्रतिमा,
मानो सूरज निकलता है लिए भौर की लालिमा।
स्वभाव के हैं कई रूप जैसे सरगम,
एक रूप शोला,तो दूजा शबनम।
छोटी-सी दुनिया में समेट ली जिदंगी,
करती हैं सदा सच्ची आस्था,बंदगी।
जीवन के अच्छे,बुरे एहसास से निखरा अस्तित्व,
झुकने से संभलने तक हर सांचे में ढाला व्यक्तित्व।
सबसे जुदा है इनका अंदाज-ए-बयां,
प्रकृति के सारे रंगों से सजा इनका आशियां॥
परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है।