मेरे शब्द बन जाते हैं मीत
डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ मेरा हर शब्द मुझसे एक रिश्ता बनाता है,मेरे शब्द-कभी रूठते हैं,कभी मान जाते हैंकुछ शब्द हो जाते हैं-माँ जैसे कोमल,कुछ बन जाते हैं-पिता की भांति कठोर,गहन अर्थों से परिपूर्णकुछ बन मेरे सखा,संग-संग करते हैं अठखेलियाँ।कुछ बन जाते हैं,बचपन के मीत से,मासूमियत के गीत सेकुछ शब्द मन में,घर कर जाते हैं,यादों की … Read more