उम्मीद

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* जबसे हमने होश संभाला है, उम्मीदों को ही पाला है शाम को पापा आएंगें, खेल-खिलौने लाएंगे। पूरा दिन इसी इंतजार में निकाला है,…

Comments Off on उम्मीद

रावण के १० शीश

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* सोच रहा बालमन खेल-खेल में देख रावण के मुख,आँखें,दस शीश,और हाथ-पैर बीस, कैसे सोता होगा रावण,आती होगी कैसे नींद कैसे कहता होगा,कैसे करता…

1 Comment

व्यर्थ न बहाओ पानी,ओ रे सजन….

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* जल शक्ति,जन शक्ति, व्यर्थ न बहाओ पानी,ओ रे सजनl पानी से ही जीवन बने सुंदर वन, जन्म हुआ पृथ्वी का ताप ही ताप…

Comments Off on व्यर्थ न बहाओ पानी,ओ रे सजन….

आओ चलें गाँव की ओर

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* आओ चलें गाँव की ओर, वो चिड़ियों का चहकना वो कोयल का गाना, वो सुहानी भोरl आओ चलें गाँव की ओर... नित नये…

Comments Off on आओ चलें गाँव की ओर

सास को माँ नहीं कह पाऊँगी

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* ऐसा नहीं सास मुझे प्यारी नहीं, वो मुझे न करतीं प्यार हो ऐसा भी नहीं... देती पूरा सम्मान हूँ,करती पूरा काम हूँ, पर…

Comments Off on सास को माँ नहीं कह पाऊँगी

हमारी हिंदी

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. हर व्यक्ति की एक भाषा होती है,जो उसे जन्म से माँ द्वारा मिलती है।मैं सौभाग्यशाली हूँ जो हिंदुस्तान में…

Comments Off on हमारी हिंदी

रुक्मणी पूछे सवाल

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* रुक्मणी पूछ रही,कान्हा मेरा प्रेम क्यूँ अधूरा है, मैं अर्धांगनी तेरी,संग राधा को क्यूँ बिठाया है... कान्हा तुझ पर मैंने..तन-मन वारा है... मैं…

Comments Off on रुक्मणी पूछे सवाल

इश्क़ के रूप

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* स्नेह,मोहब्बत,प्रेम,प्यार, इश्क़ के ये संगी चार। परस्पर प्रेम मानव का, है सुखी जीवन का आधार। माँ प्रेम से हो अभिभूत, शिशु को दूध…

Comments Off on इश्क़ के रूप

जरूरत कृष्ण अवतार की

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. आ जाओ कृष्णा ले के एक नया अवतार, नारी रूप द्रोपदी कर रही आज पुकार। आ जाओ कृष्णा...॥ त्रेता…

Comments Off on जरूरत कृष्ण अवतार की

देश की शान ‘चौकीदार’

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* पलक न झपकूँ में पलछिन वतन के वास्ते जागूँ रात और दिन झींगुर,मच्छर करते भिन-भिन, भिन-भिन का संगीत प्रिय है,गाने का अंदाज प्रिय…

Comments Off on देश की शान ‘चौकीदार’