कुल पृष्ठ दर्शन : 247

You are currently viewing आओ चलें गाँव की ओर

आओ चलें गाँव की ओर

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
*************************************************************************
आओ चलें गाँव की ओर,
वो चिड़ियों का चहकना
वो कोयल का गाना,
वो सुहानी भोरl
आओ चलें गाँव की ओर…

नित नये ख्बाव सजाते,
पीपल नीचे चौपाल लगाते
बच्चे सभी अब पढ़ने जाते,
खेलें बाल गोपाल,पपीहा मचाये शोरl
आओ चलें गाँव की ओर…।

अस्पताल नहीं दूर अब,मिले नए आयाम,
जोड़ शहर सड़कों से,रास्ते हुए आसान
फले-फूले,हुआ हर सपना साकार,
मन मयूर,पीपल छाँव,नाचे चित चकोर
आओ चलें गाँव की ओर…।

धन उगाती,मन को भाती,
मक्के दी रोटी,चने दा साग
टूक-टूक पिय को खिलाती,
होकर भाव विभोरl
आओ चलें गाँव की ओर…ll

परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनाम `गीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

Leave a Reply