हाँ,व्यथित हूँ मैं…
गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* देख के भारत माँ को वक़्त ये बोला- अंग-अंग है झूम रहा तेरा,छाई चहुँओर खुशहाली है, फिर क्यों व्यथित,क्यूँ आँख में तेरी पानी है ? बोली भारत माँ-“हाँ हूँ व्यथित मैं” मैं व्यथित हूँ उस बच्ची के लिए… जिसने सीखी थी अभी-अभी बोली, हवस के भूखे दरिंदों ने … Read more