हाँ,व्यथित हूँ मैं…

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* देख के भारत माँ को वक़्त ये बोला- अंग-अंग है झूम रहा तेरा,छाई चहुँओर खुशहाली है, फिर क्यों व्यथित,क्यूँ आँख में तेरी पानी है ? बोली भारत माँ-“हाँ हूँ व्यथित मैं” मैं व्यथित हूँ उस बच्ची के लिए… जिसने सीखी थी अभी-अभी बोली, हवस के भूखे दरिंदों ने … Read more

सर्वव्यापक हूँ,चाहे जो करा लो

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* छोड़ विद्यालय हर जगह नज़र मैं आता हूँ, अध्यापक हूँ,सर्वव्यापक हूँ जनगणना से मतगणना तक, भवन से ले के पशुगणना तक चाहे जो काम करा लो। गली-गली भटक रहा हूँ, बच्चे,बूढ़े,पशु गिन रहा हूँ; क्या पढ़ा था भूल गया हूँ, धर्म क्या!कर्म भी भूल गया हूँ। इस ऑफिस … Read more

एक बार

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* यूँ ही कभी थककर एक बार जीवन की उलझनों से दूर, जीना चाहती थी स्वच्छंद,एक बार। चल पड़ी थामे प्रियतम का हाथ, जीवन से मिलने छोड़ घर-बार। पहुँच गयी स्वप्न लोक में, झूल रही थी बाँहों के झूले में,एक बार। होकर भाव-विभोर,ख़ुशबू थी चहुँओर, मिल रही थी प्रियतम … Read more

चंद्रयान

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* कहता था कवि कभी प्रेयसी से- “चाँद पर घर बनाऊँगा”, इसरो ने किया वादा,सपना मैं सजाऊँगा। आज अभिनंदन हर जन कर रहा, छोड़ दिया चंद्रयान-२,घर वहीं बनाऊँगा। दुनिया पग में काँटे लाख बिछाए, लाख करे बदनाम,संघर्ष कर लड़ जाऊँगा। नहीं चाहिए साथ किसी का,न किसी का नाम, अपने … Read more

कारगिल विजय नामा

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. यूँ तो भारत विभाजन के समय से ही भारत और पाकिस्तान में दुश्मनी चल रही है, पाकिस्तान बस भारत में घुसने का मौका ढूंढता रहता है। पाकिस्तान आतंकवाद और धोखे का पर्याय बन गया है। १९४७ की मारकाट के बाद १९६५ सहित १९७१ … Read more

कमजोर नहीं भारत की बेटियाँ

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* कोमल हैं,कमजोर नहीं भारत की ये बेटियाँ, नहीं आज से,हैं युगों से भारत का सम्मान बेटियाँ। कभी अपाला कभी गार्गी बन,संभाली भारत की पतवार बेटियाँ, बन सीता,अनुसूईया रखती घर की लाज बेटियाँ। माँ,बहन पत्नी रूप है पुरूष का आधार बेटियाँ, बन शक्ति रूप पुरुष की,लक्ष्मी,गौरी,सरस्वती हैं ये बेटियाँ। … Read more

मेघ

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* सूर्य की तपन से तप रहा घर आँगन, झुलस रहा तन,मन हो रहा बैचेन; बीता अषाढ़ आने को है सावन, न जाने कौन से देश बदरा चले गए। देख रहा ऊपर अन्नदाता,अन्नदाता को, कब बरसोगे कब बोयेगें धान,सूख रहे खेत खलिहान; जो समय पर न बरसोगे,बर्बाद हो जाएगा … Read more

अहंकार

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* जब चले जीवन नैया लेकर, हाथों में मैं की पतवार सोचा,कर लेंगें जीवन नैया पार, पकड़ समय की धार। काम न आयी मैं की पतवार, तेज समय की धार अपने छूटे,सपने टूटे, कदर नहीं की अपनों की जब समय था तेरे पास। ऐसे गुजरे तूफ़ानों से, छूट गयीं … Read more

कर्म का नाम ही धर्म

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* एक देश है,इंसानों के मर्म एक हैं, तन,मन सब एक है,फिर क्यों तेरा धर्म अलग है। मानव है तू,तेरा कर्म ही धर्म है, न बाँटों प्रभु को,नाम पर प्रभु के, नाम अनेक पर भाव एक है भाव को समझो,कर्म का नाम ही धर्म है। धर्म पिता का पालन … Read more

तेरे लिए

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* गम हैं बहुत यहाँ पीने के लिए, मगर खुशियाँ हैं कम यहाँ जीने के लिए। गर मिटा नहीं सकता गम किसी का,दो कदम तो चल, तेरी कोशिश ही बहुत है दर्द कम करने के लिए। जोआज नहीं वो कल होगा,आज से बेहतर कल होगा, जीवन के इस समय … Read more