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कर लें स्वागत वन्दन नव का

राजेश पड़िहार
प्रतापगढ़(राजस्थान)
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कौन जियेगा कितने दिन तक,होता है यह तय नहींl
शर शैया पर भीष्म पितामह,का भी होता समय नहींl

आया समय बिताया लेकिन,बीत गयी जो बात गयी,
अरूणोदय के साथ सुबह भी,शाम बनी वह रात गयीl
पल-पल लड़ते रहे समय से,तनिक हमें था भय नहींl
शर शैया पर…

दु:ख की काली रात विषैली,सुख के स्वर्णिम दौर कई,
जीना है हमको जब तक तो,पृष्ठ बदलने हैं और कईl
कर लें स्वागत वन्दन नव का,गत की भूलें जय नहींl
शर शैया पर…

काल रूपी इस सागर में जो,पार यदि जाना चाहे,
कूद पड़े वह नयन मूंद कर,लाख विकट होगी राहेंl
गोताखोर सफल वही होता,जिसकी खुद की वय नहीं,
शर शैया पर…ll

परिचय-राजेश कुमार पड़िहार की जन्म तारीख १२ मार्च १९८४ और जन्म स्थान-कुलथाना है। इनका बसेरा कुलथाना(जिला प्रतापगढ़), राजस्थान में है। कुलथाना वासी श्री पड़िहार ने स्नातक (कला वर्ग) की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में स्वयं का व्यवसाय (केश कर्तनालय)है। लेखन विधा-छंद और ग़ज़ल है। एक काव्य संग्रह में रचना प्रकाशित हुई है। उपलब्धि के तौर पर स्वच्छ भारत अभियान में उल्लेखनीय योगदान हेतु जिला स्तर पर जिलाधीश द्वारा तीन बार पुरस्कृत किए जा चुके हैं। आपको शब्द साधना काव्य अलंकरण मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी के प्रति प्रेम है।

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