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प्रचार की पराकाष्ठा

मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)

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कड़कड़ाती ठंड मे चुनाव प्रचार के दौरान उम्मीदवार रमनलाल के आज तीसरी हाथ पैर बेतहाशा ठंडे हो अकड़ रहे थेl साथी कार्यकर्ता उन्हें बार-बार गर्म-गर्म चाय-काफी पिला सामान्य करने के प्रयास में पुनः सफल हो रहे थे,तभी करीब खड़े वृद्ध मतदाता ने हिदायत देते हुए कहा-“बेटा! तुम्हें ठंड सहने की आदत नहीं है,फिर घर-घर जाकर इतना अधिक प्रचार करने की क्या आवश्यकता है ? कुछ तो अपने पिछले कार्यकाल पर विश्वास करो,जितना असर उतने वोट तो तय हैंl”
चहकते हुए रमनलाल ने जवाब दिया-“जी काका! आपने बहुत सही कहा,अब मैं जीत के प्रति आश्वस्त हूँl”
काका के चरण स्पर्श कर आगे बढ़ गए और प्रचार पर अपनी मेहनत और खर्च दोनों दुगुने कर दिए,क्योंकि उसे अपनी नहीं,काका की बात में सत्यता स्पष्ट दिखाई दे रही थीl

परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।

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