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एक वीर का आखरी खत

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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लिख रहा हूँ,खत तुम्हें माँ
कलम न मिली तो खून से,
अचंम्भित है दुश्मन,मेरे प्रचण्ड प्रहार से,
लाशों के ढेर और खाली हथियार से।

लगी है प्यास तो रक्त पी रहा हूँ
दुश्मन के आगे दीवार बन गया हूँ,
गोली तो हमें भी लगी,पर डरा नहीं हूँ
साँस रुक रही है,पर सिर झुकाया नही है।

एक इंच भी पीछे हटा नहीं हूँ
पर एक इंच भी बचा नहीं हूँ,
पैर कांप रहे हैं,मगर हाथ रुका नहीं है
तिरंगा साथ ले के,मंजिल पे जा रहा हूँ।

आखरी सलामी तिरंगे को दे रहा हूँ
अब माँ भारती की गोद में सो रहा हूँl
वतन वालों,संभालो ये वतन,

अब तुम्हारे हवाले कर रहा हूँll

परिचय–विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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