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सम्बन्धों में नज़दीकी बनाए रखना है,भले ही दूरी हो

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र
देवास (मध्यप्रदेश)
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सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष………..


‘सामाजिक सम्बन्ध और दूरी’ बहुत ही अच्छा विषय है,वर्तमान में विश्व ‘कोरोना’ महामारी से जूझ रहा है, ऐसे समय में इस विषय की बड़ी सार्थकता लगती है। वैसे तो ‘कोरोना’ महामारी के पहले भी हमारे सामाजिक सम्बन्ध निर्वाह होते थे,लेकिन उस समय दूरी का कोई मुद्दा नहीं था। लोग एक-दूसरे से मिलते -जुलते थे,हाथ मिलाते थे। जहाँ जैसी परम्परा थी, मुलाकात पर उसका निर्वाह करते थे। हाँ,ये बात अलग है कि कुछ लोग सम्बन्धों में नज़दीकी दिखाकर मन से दूरी बनाए रखते थे,लेकिन अब परिदृश्य बदल चुका है,अब हमको सम्बन्धों में नज़दीकी बनाए रखना है और मिलने-जुलने की दूरी । आज कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में तहलका मचा रखा है,हज़ारों-लाखों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और बड़ी तादाद में जानें जा चुकी हैं। ये एक संक्रमण की बीमारी है,जो संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर देती है। अभी दुनिया में इसकी कोई कारगर दवाई भी नहीं है,इसलिए पूरे विश्व में इसकी रोकथाम के रूप में सबसे कारगर तरीका ‘सामाजिक दूरी’ बनाए रखने का निकाला गया। लोग आपस में मिलें-जुले नहीं,हाथ नहीं मिलाएं,भीड़ न लगाएं,ताकि ये संक्रमण न फैले। और अभी सभी देशों में जनता को सुरक्षित रखने के लिए ‘तालाबंदी’ का तरीका निकाला गया। इसके तहत आपको अपने घरों में ही रहना है,जिससे आप इससे संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में न आ सकें,और इसका फैलाव न हो। लोगों के प्राण बचाने के लिए शासन ने पहले २१ दिन का फिर १९ दिन की तालाबंदी घोषित की,जिसका पूरे देश में बहुत ज़्यादा सख़्ती से पालन कराया जा रहा है।
शाला,महाविद्यालय,दफ़्तर,कारखाने,मन्दिर,मस्ज़िद,गुरुद्वारा सब जगह प्रतिबंध लगा हुआ है और सारे लोग एक माह से अधिक समय से अपने घरों में कैद हैं। कहते हैं ‘जंजीरें चाहे सोने की हों,जंजीरें ही होती हैं।’ कहने का अभिप्राय यह है कि घर भले सुविधायुक्त हों,फिर भी कैद तो कैद है,और आज मनुष्य का यही हाल है,लेकिन यह बहुत उचित उपाय है इस बीमारी को हराने का। आज अपने सगे -सम्बन्धियों,रिश्तेदारों से दूरी बनाकर अपने घरों में रहकर ही अपने सामाजिक सम्बन्ध बनाए रखना है। प्रधानमंत्री ने भी बहुत अच्छा नारा दिया है कि ‘जान है तो जहान है’,मतलब हम सुरक्षित रहेंगे तो संसार के सारे रिश्ते-नाते और सुखों का उपभोग कर सकेंगे। इसलिए,हमें शासन द्वारा चलाए जा रहे सुरक्षात्मक नियमों में सहयोग कर अपने राष्ट्रप्रेम और कर्त्तव्य पालन का निर्वहन करना चाहिए। किसी ने बड़ा अच्छा लिखा था कि,-“आपका मिलना ज़रूरी नहीं,आपका होना बहुत ज़रूरी है।”
आईए हम सब भी संकल्प करें कि,”कोरोना से तालाबंदी के दरमियान रखी दूरी हमारे दिलों की दूरी को कभी कम नहीं करेगी।”

परिचय-सुरेन्द्र सिंह राजपूत का साहित्यिक उपनाम ‘हमसफ़र’ है। २६ सितम्बर १९६४ को सीहोर (मध्यप्रदेश) में आपका जन्म हुआ है। वर्तमान में मक्सी रोड देवास (मध्यप्रदेश) स्थित आवास नगर में स्थाई रूप से बसे हुए हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का रखते हैं। मध्यप्रदेश के वासी श्री राजपूत की शिक्षा-बी.कॉम. एवं तकनीकी शिक्षा(आई.टी.आई.) है।कार्यक्षेत्र-शासकीय नौकरी (उज्जैन) है। सामाजिक गतिविधि में देवास में कुछ संस्थाओं में पद का निर्वहन कर रहे हैं। आप राष्ट्र चिन्तन एवं देशहित में काव्य लेखन सहित महाविद्यालय में विद्यार्थियों को सद्कार्यों के लिए प्रेरित-उत्साहित करते हैं। लेखन विधा-व्यंग्य,गीत,लेख,मुक्तक तथा लघुकथा है। १० साझा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है तो अनेक रचनाओं का प्रकाशन पत्र-पत्रिकाओं में भी जारी है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अनेक साहित्य संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। इसमें मुख्य-डॉ.कविता किरण सम्मान-२०१६, ‘आगमन’ सम्मान-२०१५,स्वतंत्र सम्मान-२०१७ और साहित्य सृजन सम्मान-२०१८( नेपाल)हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्य लेखन से प्राप्त अनेक सम्मान,आकाशवाणी इन्दौर पर रचना पाठ व न्यूज़ चैनल पर प्रसारित ‘कवि दरबार’ में प्रस्तुति है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज और राष्ट्र की प्रगति यानि ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त,सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ एवं कवि गोपालदास ‘नीरज’ हैं। प्रेरणा पुंज-सर्वप्रथम माँ वीणा वादिनी की कृपा और डॉ.कविता किरण,शशिकान्त यादव सहित अनेक क़लमकार हैं। विशेषज्ञता-सरल,सहज राष्ट्र के लिए समर्पित और अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिये जुनूनी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
“माँ और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर होती है,हमें अपनी मातृभाषा हिन्दी और मातृभूमि भारत के लिए तन-मन-धन से सपर्पित रहना चाहिए।”

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