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बर्बादी की प्रतीक शराब पर अंकुश आवश्यक

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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शराब को मदिरा भी कहते हैं। मनचले शराबी इसे सोमरस भी कहते हैं। यह युगों-युगों से घर-परिवार एवं राजदरबारों की बर्बादी की प्रतीक मानी जाती है,क्योंकि यह शराबी को बहका देती है और बहकने के उपरांत वह जुआ खेलने से भी नहीं चूकता, जिसके कारण सब-कुछ तबाह हो जाता है,इसलिए इसके सेवन को राक्षस वृत्तियों में से एक वृत्ति माना गया है,किन्तु देखा यह गया है कि कोरोना के संकटकाल में सरकारों के लिए राष्ट्रीय कोष भरने हेतु यह रामबाण सिद्ध हुई है। इसलिए,धन संकट से उबरने के लिए सर्वप्रथम शराब की दुकानों को खोला गया। शराब का सेवन करने वालों ने भी सरकार से समर्थन करते हुए कहा था कि,खाद्य पदार्थों की भांति शराब भी उपलब्ध कराई जाए। उल्लेखनीय यह भी है कि तालाबन्दी में अत्याधिक युवा वर्ग मानसिक तनाव से गुजरते हुए आत्महत्या करने पर उतारू हो गया था,जिसका एक कारण शराब न मिलना भी था। इसलिए, इसकी कालाबाजारी भी जोरों पर हैl अतः, यदि शराब को आवश्यक वस्तुओं में शामिल कर लिया जाए तो कोई हानि नहीं है,बल्कि कालाबाजारी पर अंकुश लग जाएगा। इससे परिवारों को लाभ ही होगा।

परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैL इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैL वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैL राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैL कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंL सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंL आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैL प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंL कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंL अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैL प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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