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यह हाल देख न पाओगे…

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’ 
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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मेरे सिद्धि विनायक इस बरस जब तुम आओगे,
दुनिया का यह हाल देख न पाओगे।
कहीं तुम दुखी न हो जाओ ये सब देख कर,
तुमको मैं दुखी देख न पाऊँगी।
तो अभी बताए देती हूँ,
यहाँ के हाल सुनाए देती हूँ।
ध्यान से सब सुन लेना,
फिर बाद में मुझसे न कहना।
क्या बताऊँ मैं तुमको!
यहाँ हाल बुरा है दुनिया का।
चारों ओर भ्रष्टाचारी हैं,
पाप का पल्ला भारी है।
यहाँ धर्म के नाम पर,
लूट मचाई जाती है।
यहाँ गरीब घरों की बेटियाँ,
दहेज के कारण जलाई जाती हैं।
यहाँ सरेआम खुली सड़कों पर,
स्त्री की इज्ज़त लूटी जाती है।
यहाँ लालच में अंधे हो कर,
इंसानियत कहीं बिक जाती है।
यहाँ जन्म से पहले ही,
कोख में बच्चियां मारी जाती हैं।
यहाँ गरीबों के नाम से चली योजनाएँ,
कागज के पन्नों पर ही खत्म हो जाती हैं।
यहाँ किसान आर्थिक मंदी से,
हर रोज आत्महत्या करते हैं।
यहाँ मंहगाई के कारण,
गरीब कुपोषण से मरते हैं।
यहाँ जात-पात के नाम पर,
लाचारों को सताया जाता है।
यहाँ संरक्षण किया जाता है गुनहगारों का,
बेगुनाह को दर-दर भटकाया जाता है।
यहाँ के अफसर नेताओं की हैं कठपुतली,
जिनके बिना वे पत्ता भी नहीं हिलाते हैं।
यहाँ गरीबों के पेट पर लात मार कर,
अमीर घर अपना भरते हैं।
यहाँ शिकायत किससे करें,
जब तंत्र ही पूरा भ्रष्टाचारी है।
यहाँ दौलत की खातिर गद्दार,
धरती माँ का सौदा भी कर जाते हैं।
यहाँ ‘मत’ पाने की खातिर वादे किए जाते हैं,
सरकार बनते ही सब गंगा में बहा दिए जाते हैं।
यहाँ लालच की खातिर बेजुबां पशुओं का व्यापार चलाया जाता है,
कभी बम खिला कर तो कभी शिकार कर मार दिया जाता है।
एक खास बात कैसे बताना भूल गई!
तो सुन लो जरा उसको भी।
यहाँ पर आजकल एक घोर विपत्ति आई है,
जिसका ‘कोरोना’ नाम बताया जाता है।
जो आई अमीरों के कारण है,
जिसमें बिचारा गरीब मारा जाता है।
यहाँ पर ‘तालाबंदी’ नाम पर,
सब काम बंद कराए जाते हैं।
यहाँ अमीर घरों में बैठ कर,
बढ़िया समय बिताते हैं।
यहाँ मजदूर पेट की खातिर,
सड़कों पर पीटे जाते हैं।
यहाँ ए.सी. वालों को हवाई जहाज़ से लेकर आते हैं,
मजदूर बिचारे मीलों नंगे पैर चलकर जाते हैं।
सड़कें खून से सन जाती हैं,
इंसानियत कहीं नज़र नहीं आती है।
अब मैं तुमको कुछ और बता न पाऊँगी,
इंसानों की करतूतें अपनी जुबां से कह न पाऊँगी।
खुद ही आ कर देख लेना,
यहाँ जब तुमको शुद्ध कह कर मिलावटी भोग लगाए जाएंगे।
हे प्रभु,यहाँ ऐसे ही कई तुमको,
बड़े अजीब खेल दिखाए जाएंगे।
ये सब देख कर खुद ही सब समझ जाओगे,
मेरे सिद्धि विनायक इस बरस जब तुम आओगे…॥

परिचय-श्रीमती अंतुलता वर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘अन्नू’ है। १५ नवम्बर १९८३ को विदिशा में जन्मीं अन्नू वर्तमान में करोंद (भोपाल)में स्थाई रुप से बसी हुई हैं। हिंदी,अंग्रेजी और गुजराती भाषा का ज्ञान रखने वाली मध्यप्रदेश वासी श्रीमती वर्मा ने एम.ए.(हिंदी साहित्य),डी.एड. एवं बी.एड. की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी (शास. सहायक शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में आप सक्रिय एवं समाजसेवी संस्थानों में सहभागिता रखती हैं। लेखन विधा-काव्य,लघुकथा एवं लेख है। अध्ययनरत समय में कविता लेखन में कई बार प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी अन्नू सोशल मीडिया पर भी लेखन करती हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-चित्रकला एवं हस्तशिल्प क्षेत्र में कई बार पुरस्कृत होना है। अन्नू की लेखनी का उद्देश्य-मन की संतुष्टि,सामाजिक जागरूकता व चेतना का विकास करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा,मैथिलीशरण गुप्त,सुमित्रा नन्दन पंत,सुभद्रा कुमारी चौहान एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणापुंज -महिला विकास एवं महिला सशक्तिकरण है। विशेषज्ञता-चित्रकला एवं हस्तशिल्प में बहुत रुचि है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हमारे देश में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है,परंतु हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के अधिकांश हिस्सों में बोली जाती है,इसलिए इसे राष्ट्रभाषा माना जाता है,पर अधिकृत दर्जा नहीं दिया गया है। अच्छे साहित्य की रचना राष्ट्रभाषा से ही होती है। हमें अपने राष्ट्र एवं राष्ट्रीय भाषा पर गर्व है।”

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