कुल पृष्ठ दर्शन : 199

You are currently viewing ये ‘तालाबंदी’ कभी ना खुले

ये ‘तालाबंदी’ कभी ना खुले

पवन प्रजापति ‘पथिक’
पाली(राजस्थान)
**************************************************************************************
कपिल बालकनी पर खड़ा शहर की सूनी सड़कों को ताक रहा था। कभी न थमने वाले शहर में आज मरघट का सन्नाटा पसरा हुआ था। दिनभर इन्सानों की चहलकदमी से आबाद रहने वाली सड़कों पर आज कुत्ते निश्चिंत होकर दौड़ रहे थे। आज उन्हें किसी गाड़ी के नीचे कुचले जाने का भय भी न था। ‘तालाबंदी’ ने जैसे जीवन की गति को थाम कर रख दिया था,अन्यथा कपिल को इतना समय कहां था। भाग-दौड़ भरी जिन्दगी में कपिल को पता ही नहीं चला कि कब उसकी शादी को ५ साल बीत गये। सुबह आफिस जाना और देर रात तक लौटना,भोजन करना और सो जाना। सुबह होते ही फिर वही क्रम, कभी-कभी तो उसे लगता कि वो इंसान नहीं, बल्कि मशीन बनकर रह गया है। उसने बालकनी से नजरें हटाकर घर में दौड़ाई। राधा हमेशा की तरह अपने काम में लगी हुई थी। उसके लिए तो ‘तालाबंदी’ के कोई मायने ही नहीं थे। शादी से पहले कितना खुश थी वो…कितने सपने देख रखे थे उसने..शिमला- मनाली घूमने की योजना भी बना रखी थी, लेकिन कपिल अपनी व्यस्तता के चलते कभी उसे समय ही नहीं दे पाया। राधा ने भी कभी शिकायत नहीं की। कपिल को याद नहीं कि इन ५ सालों के दौरान वे दोनों कभी प्रेम से बतियाए हों,जैसे वो शादी से पहले किया करते थे। वो स्मृतियों से बाहर आया। आज राधा उसे हमेशा से सुन्दर लग रही थी । कपिल न जाने ऐसे कितने पल गंवा चुका था, लेकिन अब वो उसे नहीं गंवाना चाहता था। उसने आगे बढ़कर राधा का हाथ अपने हाथों में थाम लिया। आँखें,आँखों से टकराई..मानो उलाहना दे रही हो कि ‘अब तक कहां थे..?’ कपिल ने राधा को सीने से लगा लिया। राधा मन ही मन सोच रही थी-काश! ये ‘तालाबंदी’ कभी ना खुले…।

परिचय-पवन प्रजापति का स्थाई निवास राजस्थान के जिला पाली में है। साहित्यिक उपनाम ‘पथिक’ से लेखन क्षेत्र में पहचाने जाने वाले श्री प्रजापति का जन्म १ जून १९८२ को निमाज (जिला-पाली)में हुआ है। इनको भाषा ज्ञान-हिन्दी,अंग्रेजी एवं राजस्थानी का है। राजस्थान के ग्राम निमाज वासी पवन जी ने स्नातक की शिक्षा हासिल की है। इनका स्वयं का व्यवसाय है। लेखन विधा-कविता,लेख एवं कहानी है। ब्लॉग पर भी कलम चलाने वाले ‘पथिक’ की लेखनी का उद्देश्य-मानव कल्याण एवं राष्ट्रहित के मुद्दे उठाना है। आपकी दृष्टि में प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानन्द जी हैं। इनकी विशेषज्ञता- भावनात्मक कविता एवं लघुकथा लेखन है।