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समय हूँ,तूफान हूँ

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’
बहादुरगढ़(हरियाणा)
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मैं समय हूँ,
मैं प्रलय हूँ
रोकना मुझको कठिन है,
टोकना मुझको कठिन है
आता हूँ,जब मौज़ चाहे,
जाता हूँ,जब मौज़ चाहे
मोड़ना मुझको कठिन है।
रात है,तो दिन भी होगा,
शाम है,होगा सवेरा,
शूल में से फूल चुनना
है यही वीरत्व मेरा।
मैंने है,इतिहास देखा,
कृष्ण देखा,कंस देखा
राम और हनुमान देखा,
लंका का परिणाम देखा
महाबली रावण कहाँ है ?
समय सबको खा गया है,
गीत केवल गा गया है
वक्त का पहिया बदल कर,
मोड़ लेने आ गया है।
सादगी ईमान जिनका,
सत्य था,भगवान जिनका
मरण नहीं है,वरण उनका,
नाम ऐसा पा गये वे
समय को भी खा गये वे।
पर नहीं,बलवान हूँ मैं,
समय हूँ,तूफान हूँ मैं
बस यही मन में चाह,
तुम मत रोको मेरी राह।

वक्त की लहरों ने,
भारत की माटी को
जब भी पुकारा है,
माँ के लाड़लों ने
शहीद परवानों ने,
अलबेले मस्तानों ने
तब ही हुंकारा है,
अत्याचारी औरंगजेब हो
या कि नादिरशाह,
कोई फर्क नहीं पड़ता है।
ताज फेंके,तख़्त तोड़े,
गौतम और गांधी न छोड़ें
पाप को फिर फिर पछाड़ा,
स्वार्थ को बेमौत मारा
पुन्य गौतम बन गया है,
प्यार गांधी बन गया है।
शत्रु की ललकार पर,
माटी का कण-कण
वीर सपूत बन,
सर हथेली रखे
युद्ध में लड़ता है।

चाहते हैं,हम तो,
युद्ध हो ही नहीं
अगर कोई पहल करे,
दुःसाहस करे,ललकारे
उस नापाक का,
फन कुचलना भी जरूरी है।
दुश्मन को सबक सिखाने को,
गलती का एहसास कराने को
दुश्मन के घर में घुस कर,
जौहर दिखाना जरूरी है।
कर जौहर का अभिनंदन,
तैयार खड़े,सब माटी के चन्दन
हमने विश्व को दिया है बुद्ध,
नहीं चाहते कोई भी युद्ध
पर फिर भी,युद्ध के लिये,
सदा तैयार रहना जरूरी है।

वक़्त की मार को,
भविष्य की धार को
वर्तमान के सार को,
जो समझ गया,वो रह गया
दूसरों का रहता नहीं,
कभी कोई नामोनिशान है।
सुन लो,समझ लो,ध्यान से,
सबके लिये यही फ़रमान है
उत्थान तो कभी होगा नहीं,
भुलाना अपना सारा गुमान है।
फिर से दोहराता हूँ,
गीत वही गाता हूँ
मैं समय हूँ,
मैं प्रलय हूँ
रोकना मुझको कठिन है,
टोकना मुझको कठिन है
आता हूँ जब मौज़ चाहे,
जाता हूँ जब मौज़ चाहे
मोड़ना मुझको कठिन हैl
रोकना मुझको कठिन है,
टोकना मुझको कठिन हैll

परिचय–राजकुमार अरोड़ा का साहित्यिक उपनाम `गाइड` हैl जन्म स्थान-भिवानी (हरियाणा) हैl आपका स्थाई बसेरा वर्तमान में बहादुरगढ़ (जिला झज्जर)स्थित सेक्टर २ में हैl हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री अरोड़ा की पूर्ण शिक्षा-एम.ए.(हिंदी) हैl आपका कार्यक्षेत्र-बैंक(२०१७ में सेवानिवृत्त)रहा हैl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत-अध्यक्ष लियो क्लब सहित कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव हैl आपकी लेखन विधा-कविता,गीत,निबन्ध,लघुकथा, कहानी और लेख हैl १९७० से अनवरत लेखन में सक्रिय `गाइड` की मंच संचालन, कवि सम्मेलन व गोष्ठियों में निरंतर भागीदारी हैl प्रकाशन के अंतर्गत काव्य संग्रह ‘खिलते फूल’,`उभरती कलियाँ`,`रंगे बहार`,`जश्ने बहार` संकलन प्रकाशित है तो १९७८ से १९८१ तक पाक्षिक पत्रिका का गौरवमयी प्रकाशन तथा दूसरी पत्रिका का भी समय-समय पर प्रकाशन आपके खाते में है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। प्राप्त सम्मान पुरस्कार में आपको २०१२ में भरतपुर में कवि सम्मेलन में `काव्य गौरव’ सम्मान और २०१९ में ‘आँचलिक साहित्य विभूषण’ सम्मान मिला हैl इनकी विशेष उपलब्धि-२०१७ में काव्य संग्रह ‘मुठ्ठी भर एहसास’ प्रकाशित होना तथा बैंक द्वारा लोकार्पण करना है। राजकुमार अरोड़ा की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा से अथाह लगाव के कारण विभिन्न कार्यक्रमों विचार गोष्ठी-सम्मेलनों का समय समय पर आयोजन करना हैl आपके पसंदीदा हिंदी लेखक-अशोक चक्रधर,राजेन्द्र राजन, ज्ञानप्रकाश विवेक एवं डॉ. मधुकांत हैंl प्रेरणापुंज-साहित्यिक गुरु डॉ. स्व. पदमश्री गोपालप्रसाद व्यास हैं। श्री अरोड़ा की विशेषज्ञता-विचार मन में आते ही उसे कविता या मुक्तक रूप में मूर्त रूप देना है। देश- विदेश के प्रति आपके विचार-“विविधता व अनेकरूपता से परिपूर्ण अपना भारत सांस्कृतिक,धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक, आर्थिक, राजनीतिक रूप में अतुल्य,अनुपम, बेजोड़ है,तो विदेशों में आडम्बर अधिक, वास्तविकता कम एवं शालीनता तो बहुत ही कम है।

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