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मानवता से हैवानियत पर सख्ती जरूरी

पुष्कर कुमार ‘भारती’
अररिया (बिहार)
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हमारे समाज में कुछ ऐसी भी घटना घट जाती है,जिसे देख बिना कुछ लिखे रहा भी नहीं जाता है। समझ में यह नहीं आता है कि, आखिर हम मानव किस ओर बढ़ रहे हैं ? मानवता की ओर या हैवानियत की ओर! हम आज महिला सशक्तिकरण की ओर पहला कदम बढ़ा रहे हैं,पर पिछले कुछ दिनों से मन व्यथित हैl जबसे सोशल मीडिया से एक आवाज सुनाई पड़ती है,एक अजीब-सी चीख,उनकी उस समय की वो ध्वनि गूंजती है। शायद वो आवाज लगा रही है कि कोई तो भाई बन इन दरिंदों से हमको बचा लेl आखिर बहन `दिशा` का क्या दोष ? जो इतनी यातना झेलनी पड़ी,उनके साथ इस घिनौने अपराध के लिए अपराधी को क्या सजा मिलनी चाहिए ? कब मिलनी चाहिए ? कैसी सजा मिलनी चाहिए ?,यह सवाल अब खत्म हो गया हैl सवाल है कि कब तक समाज इस पीड़ा को सहेगा ? कब तक हमारी लाड़ली बिटिया अपनी जान गंवाती रहेगी ? कुछ धार्मिक लोग सवाल उठाते थे-लड़की को छोटे कपड़े नहीं पहनना चाहिए,जींस नहीं पहनना चाहिए ? और न जाने कितनी तरह के सुझाव दे रहे हैं,लेकिन वो तो घर से ही पूरा शरीर ढक कर निकली थी,एक भारतीय नारी की तरह और अपनी संस्कृति का भी पूरा ख्याल रखा था। फिर क्यों इतनी यातना सहनी पड़ी ? हमारे देश में इतनी भयंकर दर्दनाक घटना कब तक रुकेगी ? लोगों की सोच कब बदलेगी ? मैं महाविद्यालय से पी.जी. की परीक्षा देकर चाँदनी चौक होकर ही घर को ओर निकल रहा था,तो दिशा के संदर्भ में चाँदनी चौक पर विशाल `कैन्डल मार्च` निकाला जा रहा था। उसे देख भावुक हो उठा,और बार-बार शासन कर रहे राजनीतिक दलों और जिम्मेदार व्यक्तियों से मेरा पूछने का मन कर रहा है-आखिर यह सब कब तक चलेगा ? और यह सब सारे प्रश्न मेरे अंतर-आत्मा को झकझोर रहे थे ?
घर पहुंचा तो एक दोस्त का संदेश आया कि,आज कुछ मन हीं लग रहा है,और एक लड़की होने के नाते मुझे संसार में रहने का मन नहीं हो रहा है। कारण जानने की चेष्टा की तो उसका जवाब सुन कर कैंडल मार्च और दिशा के साथ घटी वो घटना दिमाग में घूमने लगी। किसी तरह से अपनी दोस्त को समझाया,पर सवाल कायम है। मन ने उससे यह जानने की चेष्टा की कि,अब उन दोषियों को कैसी सजा मिलनी चाहिये ? तो उन्होंने कहा-नहीं पहले आप ही बताईए ? मैंने बिना कुछ सोचे तुरंत कह दिया-उन सारे दोषियों को अविलम्ब फाँसी दे दी जाना चाहिए,तो इसपर उनका जवाब `नहीं` थाl उन दोस्त के मुताबिक `ऐसे हर अपराधी को `तड़पा-तड़पा कर` उसी तरह सजा दी जाना चाहिए,जैसे उस लाड़ली को तड़पाया था। इनकी यह सजा संपूर्ण देश को दिखाना चाहिए,ताकि कोई इस तरह की हरकत करने की सोचे तक नहीं।` कुछ ही दिन में उसकी बात को हकीकत में बदलते देख मन थोड़ा-सा शांत है,कि न वकील द्वारा कोई बहस,न ही कोई तारीख,उन दरिंदों को उसी भाषा में जवाब मिल गया।

परिचय-पुष्कर कुमार का निवास ग्राम-दियारी(जिला-अररिया)में हैl इनका साहित्यिक उपनाम `भारती` हैl १७ सितम्बर १९९४ को कटही,सुपौल में जन्में हैंl जिला-अररिया और बिहार प्रदेश के वासी भारती फ़िलहाल स्नातक(राजनीति विज्ञान)में अध्ययनरत हैं तथा कार्यक्षेत्र विद्यार्थी के साथ ही लेखन का हैl लेखन विधा-कविता और लेख हैl हिंदी भाषा का ज्ञान रखते हैंl ब्लॉग पर लिखने वाले पुष्कर कुमार की रचना कहानी संग्रह में हैl साथ ही रचना का प्रकाशन पत्रिका में हुआ हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की कुरीतियों को लेखन के माध्यम से मिटाना और हिंदी भाषा का प्रसार करना हैl आपकी रुचि-लेखन  और किताब पढ़ने में हैl

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