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नहीं रहे अकहानी आंदोलन के जनक डॉ. विमल

हिन्दी साहित्य में अकहानी आंदोलन के जनक के रूप में विख्यात एवं कवि डॉ. गंगा प्रसाद विमल का श्रीलंका के निजी भ्रमण के दौरान सड़क दुर्घटना में २३ दिसम्बर २०१९ को निधन हो गया। ‘बोधि-वृक्ष’ के जनक डॉ. गंगा प्रसाद विमल अपने लेखन के लिए दुनियाभर में ख्याति प्राप्त थे।
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय कथाकार,
उपन्यासकार,कवि और अनुवादक के रूप में प्रसिद्ध रहे डॉ. विमल का जन्म ३ जुलाई १९३९ को उत्तरकाशी (उत्तराखंड)में हुआ था। आपकी प्रमुख सेवाएं-केन्द्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक के रूप मेंं कार्य, जवाहरलाल नेहरु विवि,दिल्ली विवि और पंजाब विश्वविद्यालय में अहम जिम्मेदारी निभाना है। डॉ. विमल के साहित्यिक अवदान में प्रमुख कृतियाँ-कविता संग्रह के अन्तर्गत-‘बोधि-वृक्ष,नो सूनर,इतना कुछ, सन्नाटे से मुठभेड़ एवं मैं वहाँ हूँ’ आदि हैं। कहानी संग्रह-‘कोई शुरुआत,अतीत में कुछ, इधर-उधर तथा बाहर न भीतर’ सहित उपन्यास-‘अपने से अलग,कहीं कुछ और एवं मरीचिका आदि हैं।
कई नाटक भी रचने वाले डॉ. विमल ने आलोचना तथा अनुवाद सहित सम्पादन में अपनी प्रतिभा दिखाई। आपको पुरस्कार और सम्मान-पोयट्री पीपुल पुरस्कार,यावरोव सम्मान आर्ट यूनिवर्सिटी(रोम)का डिप्लोमा सम्मान,स्वर्ण पदक,बिहार सरकार द्वारा ‘दिनकर पुरस्कार’,स्काटिश पोयट्री पुरस्कार के साथ ही भारतीय भाषा पुरस्कार एवं अन्तरराष्ट्रीय सर्वोच्च बल्गारियाई सम्मान खास हैं।
८० वर्षीय डॉ. विमल के निधन पर हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार भी सादर श्रृंद्धांजलि अर्पित करता है।

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