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एकांत प्रकृति की ओर…

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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एकांत में आते हैं कितने ही विचार,
अकेलेपन में अतीत कोलाहल बन जाता है।
एकांत में उस काली चिड़िया की,
चहचहाहट मधुर लगती है।
कबूतर के जोड़े की गुटर गूं,
उनके पंखों की फड़फड़ाहट
अपने इस घरौंदे में भली लगती है।
ऐसे कितने ही पलों से,
अपरिचित से थे हम
बगीचे में लदी हुई सफेद कनेर,
हमें यह समझाती है कि-
लेपटॉप की टिक-टिक
किताबों के लंबे व्याख्यान…
हमें इतना निर्जीव बना दिया है,
हम मशीन हो गये थे।
आज प्रकृति ने हमें याद दिलाया,
कि तुम प्रकृति से न्याय करना भूल गए हो…
भूल गये हो कि-यह प्रकृति ही जीवन है,यही ईश्वर है।
इंसान द्वारा बनाये मंदिर तो आज बन्द हो गये हैं,
अब कहाँ जाओगे ?
खोजो अपने अंदर के उस भगवान को।
तकनीकी की अंधी दौड़ में भाग रहे थे,
मैंने यह खूबसूरत दुनिया बनायी थी प्यार से रहने के लिये…
एक-दूसरे के लिये परमाणु बम बनाने के लिये नहीं।
यह आपदा हमें डराने नहीं आयी है,
यह बताने आयी है कि मुझसे मत खेलो।
अभी भी सम्भल जाओ,
तकनीक का उपयोग करो
पर विषाणु मत बनाओ,
नहीं तो जिंदगी से बेजार हो जाओगे।
समय मिला है एकांत का,
आत्म मंथन करो।
देखो! अभी भी समय है,
सोचो!
मत भागो (विदेश)इतना,
मंजिल कहीं ओर नहीं…
तुम्हारे अपने घरोंदे(देश)में है।
रहो एकांत में कुछ विचार करो,
यह आते-जाते कलरव करते पक्षी तुम्हें समझाते हैं।
देखो! आज तुम बन्द हो घरों में,
और हम आज भी स्वछंद हैं।
विचार करो क्यों ??????
चलो,अब प्रकृति की ओर॥

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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