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दोस्त

नमिता घोष
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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मैंने अपने हाथों में लालटेन उठा रखी है,
इसलिए कि दिन के डूबने के बाद
उजाला तो चाहिए होता है,
अंधेरा कितना डरावना और,
भयभीत करने वाला होता है।
और मैं अंधेरे से डरती तो नहीं…
लेकिन,
उसे अपनी दहलीज के भीतर भी
नहीं आने देना चाहती हूँ,
इसलिए नही कि अंधेरा मृत्यु का प्रतीक है…
बल्कि इसलिए कि,
अंधेरे में दोस्त और दुश्मन की पहचान…
मुश्किल हो जाती है।
और मैं,
दुश्मनों में नहीं,दोस्तों के बीच जीना चाहती हूँ॥

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