सुधा श्रीवास्तव ‘पीयूषी’
प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)
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काव्य संग्रह हम और तुम से
एक दिन देखा तुम्हें बस हम तुम्हारे हो गए,
देखकर मौजों को भी तेरे सहारे हो गए।
देखकर तन्हा जमाना ऐसे पीछे पड़ गया,
बहता तिनका देखकर उसके सहारे हो गए।
नहीं कोशिश किया हमने कि आगे क्या है देख लूँ,
मेरा एतबार था यह कि अब तुम हमारे हो गए।
चाहे हों जितने सितारे इन चाहतों के फलक पर,
बन दीवाने आपकी नजरों के सारे हो गए।
वैसे तो ‘पीयूषी’ ने नजरों से देखा ना कभी,
दिल से दिल की बात क्या हुई दिल के प्यारे हो गए॥