जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
*********************************
खेत के कानून का अब हल निकलना चाहिए।
टहनियां तोड़े बिना ही फल निकलना चाहिए।
राजधानी घिर चुकी अलगाव के अंगार में,
आग का करने शमन दमकल निकलना चाहिए।
बैठ कर चर्चा करो अपनी कहो उनकी सुनो,
पाटकर खाई हमें समतल निकलना चाहिए।
कूप की बुनियाद में ही आब की तासीर है,
जांच कर देखो वहीं पर जल निकलना चाहिए।
वामपंथी औ विदेशी जाल से बाहर रहो,
ताम्रपत्रों से अलग पीतल निकलना चाहिए।
शीत के आगोश में आने लगा है कारवां,
न्याय के मंदिर से अब कम्बल निकलना चाहिए।
जो किसानों के मसीहा दिख रहे ‘हलधर’ यहां,
इन दलालों का हवा में छल निकलना चाहिए॥