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क्या लेना चाहेंगें आप ?

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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हाज़िर हूँ जनाब,
कहिये क्या लेना चाहेंगें आप ?
सोना-चाँदी तो हर कोई खरीदता है,
आईये मुझसे लीजिए,
कुछ ज़ज्बे,कुछ सपने,
कुछ दर्द,कुछ आँसू।
जी हाँ,बहुत कुछ है मेरे पास,
आपके वास्ते
मगर आप तो ठहरे,
पढ़े-लिखे शरीफ खरीदार,
तो आप ये लीजिए-
मजलूमों पर जुल्म की तस्वीरें,
निहत्थों की हत्या की मिसालें
भूख और बहाव का नंगा तांडव,
बेकसूरों की जिंदा मौत की दास्ताँ।
ये सब ही तो है,
जिन्हें आप सुबह-सवेरे,
जहन में सहेजते हो
दोपहर को लंच के साथ निगलते हो,
रात को डिनर में चख कर सो जाते हो
सुनते हो,समझते हो,
मोल चुकाते हो
मगर क्या पाते हो।
खैर,मेरे पास भी समय नहीं है,
किसी के पास भी समय नहीं है।
तो जल्दी फैसला कीजिये जनाब…,
क्या लेना चाहेंगें आप…?

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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