कुल पृष्ठ दर्शन : 194

सहारा जाने कहाँ है

सूरज कुमार साहू ‘नील`
भोपाल (मध्यप्रदेश)
*****************************************************************
आज हम हैं हारे से सहारा जाने कहाँ है,
लगाकर आस बैठे थे किनारा जाने कहाँ है।

चल कर थक गए हम हर राह में यारों,
जिसकी तलाश थी वो यारा जाने कहाँ है ?

घर से घूमने ख़ातिर हम निकले थे बस,
संदेशा फैल गया वह बेचारा जाने कहाँ है।

कमाये खूब बने धनवान लुटाये एक भी न,
पर सोचते आज भी गुजारा जाने कहाँ है।

सच का पकड़ कर साथ सदा बढ़ते रहे,
‘नील’ का वही हाल दोबारा जाने कहाँ है॥

परिचय-सूरज कुमार साहू का साहित्यिक उपनाम `नील` हैl जन्म तारीख २५ जून १९९३ हैl वर्तमान में आपका निवास भोपाल (मध्यप्रदेश) कार्यक्षेत्र-सॉफ्टवेयर डेवलपर (भोपाल)का हैl सामाजिक गतिविधि में आप भोपाल के क्षेत्रीय एवं स्वयं की क्षेत्रीय सामाजिक संस्था से जुड़े रहकर कार्यक्रमों में सक्रिय हैंl इनकी लेखन विधा-काव्य (मुक्तक,ग़ज़ल,कविता)और लेख आदि हैl इनकी रचना का प्रकाशन स्थानीय सहित पत्रों सहित वेब पत्रिका में भी जारी हैl  भोपाल से ‘शब्द सुमन सम्मान-२०१७ ‘ एवं २०१८ में भोपाल से ‘अटल राजभाषा अलंकरण-२०१७’ सम्मान आपको प्राप्त हो चुका हैl ब्लॉग पर भी निरतंर लेखन में सक्रिय रहने वाले नील की विशेष उपलब्धि-साहित्य के माध्यम से विभिन्न क्षेत्र के वरिष्ठजनों का आशीर्वाद एवं लेखन हेतु मार्गदर्शन मिलना हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज में नई दिशा एवं परिवर्तन लाने का प्रयास हैl इनके लिए प्रेरणा पुंज-सीखने व लिखने की ललक एवं मार्गदर्शक विभिन्न संस्थाएं हैंl आपको भाषा ज्ञान-हिन्दी,अंग्रेजी का हैl रूचि-काव्य लेखन,चित्रकला और सामाजिक गतिविधि में शामिल होना हैl

Leave a Reply