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घर बैठना है साहस

प्रभावती श.शाखापुरे
दांडेली(कर्नाटक)
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आयी कैसी महामारी,
चारों ओर छायी बीमारी।
नाम इसका ‘कोरोना’
लगे सब इससे डरने॥

ना दवा काम आए,
ना दुआ काम आए।
बने अपने सभी पराए,
रिश्ते-नाते हमने खोए॥

ये कैसा कोरोना,
आया सबको रोना।
घर बैठना है साहस,
वरना है स्वर्गवास॥

सदा हाथ है धोना,
घर से बाहर न जाना।
बनकर मौत का साया,
संकट ये चीन से आया॥

हम हैं भारतवासी,
संस्कृति जिनमें बसी।
मिलकर है भगाना,
मृत्युरूपी कोरोना॥

परिचय-प्रभावति श.शाखापुरे की जन्म तारीख २१ जनवरी एवं जन्म स्थान-विजापुर है। वर्तमान तथा स्थाई पता दांडेली, (कर्नाटक)ही है। आपने एम.ए.,बी.एड.,एम.फिल. और पी.एच-डी. की शिक्षा प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र-प्रौढ़ शाला में हिंदी भाषा की शिक्षिका का है। इनकी लेखन विधा-तुकांत, अतुकांत,हाईकु,कहानी,वर्ण पिरामिड, लघुकथा,संस्मरण और गीत आदि है। आपकी विशेष उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान मिलना है। श्रीमती शाखापुरे की लेखनी का उद्देश्य-कलम की ताकत से समाज में प्रगति लाने की कोशिश,मन की भावनाओं को व्यक्त करना,एवं समस्याओं को बिंबित कर हटाने की कोशिश करना है। 

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