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हाँ मैं नारी हूँ…

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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महिला दिवस स्पर्धा विशेष……

कहते हैं-शोर हूँ,शोला हूँ,धधकती चिंगारी हूँ,
क्यों मौन हूँ मदिर हूँ चुप हूँ बेचारी हूँ
हाँ,मैं नारी हूँ…।
द्वंद हूँ,मंद हूँ,फिर भी पसंद हूँ,
सुलह हूँ,कलह भी,नहीं अवतारी हूँ।
हाँ,मैं नारी हूँ…

टूटे जोड़ती,रूठे तोड़ती,प्रतिकूल धारा मोड़ती,
एक कड़ी,एक लड़ी सब पर भारी हूँ मैं
हाँ,मैं नारी हूँ…,
अबूझी प्यास हूँ,हरदम उदास हूँ,
दिलों से पास हूँ,फिर क्यों लाचारी हूँ।
हाँ,मैं नारी हूँ…

अनछुए ख्वाब हूँ,कहते क्यों बकवास हूँ,
सबके साथ हूँ,और मैं ही आभारी हूँ
हाँ,मैं नारी हूँ…,
सुकून हूँ,चैन हूँ,शान्ति हूँ,तरल हूँ,
बेचैन-सी,विचलित बन हारी हूँ।
हाँ,मैं नारी हूँ…

तृप्ति हूँ,प्यास हूँ,ना टूटी आस हूँ,
अबुझ हूँ माँ हूँ,ममता की मारी हूँ
हाँ,मैं नारी हूँ…,
गन्ध हूँ,छन्द हूँ,प्रीत का अनुबन्ध हूँ,
बेढंग मूरत,बेढंगी सूरत हो,पर प्यारी हूँ।
हाँ,मैं नारी हूँ…

कभी परी हूँ,हीरे-मोतियों से जड़ी हूँ,
कहीं कोयला हूँ,कचरे पड़ी जमाने बलिहारी हूँ।
हाँ,मैं नारी हूँ…,
तम हूँ,गम,हूँ,नम हूँ,आंनद उमंग भी।
भोर हूँ आदि और छोर हूँ,मैं न्यारी हूँ,
हाँ,मैं नारी हूँ…॥

परिचय-ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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