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नारी तू सिर्फ एक नारी है

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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तुम भूल गए पुरुषत्व मोह में,नारी की भी कुछ सत्ता है…
तुम पुरुष हो ये माना सशक्त हो
लौह तन तुम्हारा मन भी कठोर हो गया,
अपनी कठोर शक्ति का तुझे अहंकार हो गया,
नारी की कोमलता को मान कमजोरी पुरुषत्व मोह हो गया।
कोमल हैं कमजोर नहीं,शक्ति का नाम ही नारी है,
जग को जीवन देने वाली,जग तुझको भूल गया।
क्योंकि…
कभी अम्बा कभी दुर्गा कभी काली है,
नारी क्यों नहीं सिर्फ एक नारी है।
कभी बेटी कभी पत्नी, कभी माँ-बहन बनकर
समाज को जीवंत बनाया है,
क्यों नहीं एक नारी बन कर अपना अस्तित्व बचाया है।
नारी तू नारी पर ही क्यों भारी है,
नारी तू क्यों नहीं सिर्फ एक नारी है॥

‘आँचल में दूध और आँखों में पानी,औरत तेरी यही कहानी’
बन सानिया,मैरी कॉम,इस बात को झुठलाया है,
ममता का दूध भरा ये आँचल आसमान पर लहराया है।
‘ढोर गवार शुद्र पशु नारी,सकल ताड़ना के अधिकारी’,
कर ताड़ना का विरोध रामायण बदलनी है
बन गार्गी,अपाला फिर पहचान बनानी है।
नारी तू क्यों नहीं सिर्फ एक नारी है॥

कभी सीता,कभी अहिल्या बन ख़ुद को मिटाया है,
क्या किसी पुरुष ने भी कभी कोई प्रमाण दिखाया है।
फिर क्यों,फिर क्यों पुरुष तेरी अस्मिता पर
भारी है।
नारी तू क्यों नहीं सिर्फ एक नारी है॥

तू ही शक्ति तू ही जननी,तू ही वो नारी है,
जिसे बनाकर देवताओं ने भी अपना स्वर्ग बचाया है।
आज फिर वक्त वो आया है,
बन कर शक्ति नारी की अपनी अस्मिता बचानी है।
नारी तू सिर्फ एक नारी है,सिर्फ एक नारी है॥

परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनामगीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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