श्रीकांत मनोहरलाल जोशी ‘घुंघरू’
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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सुना है तेरे शहर में दीवाने बहुत हैं,
दीवाने तो हैं मगर तेरे दीवाने बहुत हैंl
तबाह हो गया है सारा शहर एक रात में,
तुझ पर मिटने के लिए अभी परवाने बहुत हैंl
देखने खड़ा है सारा शहर तेरी एक झलक को,
चाँद एक है,आसमान में सितारे बहुत हैंl
जो भी देखता है तुझे कहता है लाजवाब,
गुल एक है,गुलशन में गुलाब बहुत हैंl
वक्त कितना लिया होगा तुझे बनाने में `घुंघरु`,
तू एक है इस जहाँ में,तेरे जैसे बहुत हैंll
परिचय-श्रीकांत मनोहरलाल जोशी का साहित्यिक उपनाम `घुंघरू` हैl जन्म ४ अप्रैल १९७८ में मथुरा में हुआ हैl आपका स्थाई निवास पूर्व मुंबई स्थित विले पार्ले में हैl महाराष्ट्र प्रदेश के श्री जोशी की शिक्षा बी.ए.(दर्शन शास्त्र) और एम.ए.(हिंदी साहित्य) सहित संगीत विशारद(पखावज) हैl कार्यक्षेत्र-नौकरी(एयरलाइंस) हैl लेखन विधा-कविता है। प्राप्त सम्मान में तालमणी प्रमुख है। प्रेरणा पुंज-मनोहरलाल जोशी(पिता)हैंl