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गर्मी

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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दोपहरी की धूप से,बढ़ा ताप चहुँ ओर।
तप्त तवे सी है धरा,पवन मचाए शोर॥
पवन मचाए शोर,नहीं यह मौसम भाता।
गर्मी का ये रूप,सभी को ये झुलसाता॥
कहता कवि करजोरि,लगे अब रात सुनहरी।
तन पर बहता स्वेद,रहे अब गरम दुपहरी॥

गरमी के इस ताप से,सूखे ताल तड़ाग।
सूरज भी झुलसा रहा,बरसाता है आग॥
बरसाता है आग,विकल हैं प्राणी सारे।
तप्त धरा तरुहीन,बाग उद्यान हमारे॥
कहता कवि करजोरि,दिखे न ताप में नरमी।
आएगी बरसात,दूर होगी तब गरमी॥

गलियाँ भी सूनी हुई,बन्द हुई चौपाल।
झुलसे तनमन हैं सभी,बिगड़े सबके हाल॥
बिगड़े सबके हाल,बैठ घर मन को मारे।
हुए अहिंसक जीव,छोड़ हिंसा को सारे॥
कहे ‘नवल’ करजोरि,सभी मुरझाए कलियाँ।
सभी घरों में बंद,दिखे अब सूनी गलियाँ॥

परिचय–पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को ग्राम बड़ियाल कलाँ जिला दौसा(राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तकें प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-

‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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