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माँ की महिमा का गुणगान विश्व साहित्य में सदियों से

उज्जैन (मप्र)।

माँ की महिमा का गुणगान विश्व साहित्य में सदियों से होता आ रहा है। माँ के श्री चरणों में फलित होने वाले आशीष हैं, तो माँ के मस्तक का मुकाम स्वर्ग में है। .
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. पुरुषोत्तम दुबे (इंदौर) ने संस्था सरल काव्यांजलि द्वारा मातृ दिवस पर आयोजित आभासी मासिक गोष्ठी में यह विचार व्यक्त किए। संस्था के प्रचार सचिव मानसिंह शरद ने बताया कि, इस अवसर पर साहित्यिक प्रतियोगिता में सदस्यों आशीष श्रीवास्तव की ग़ज़ल एवं वर्षा गर्ग की लघुकथा को सर्वश्रेष्ठ रचना का पुरस्कार दिया गया। संस्था ने ‘पत्र लिखो’ प्रतियोगिता भी कराई, जिसमें वरिष्ठ साहित्यकार सतीश राठी (इंदौर) ने अपने आभासी उद्बोधन में इस लुप्तप्राय विधा को बचाने के लिए संस्था को बधाई दी । श्रेष्ठ पत्र लेखन के लिए सदस्य डॉ. महेश कानूनगो, डॉ. नेत्रा रावणकर एवं श्रीमती आशागंगा शिरढोणकर सहित रचना पाठ हेतु डॉ. वंदना गुप्ता तथा सन्तोष सुपेकर को चुना गया। इस अवसर पर रामचन्द्र धर्मदासानी, डॉ. आर.पी. तिवारी, राजेंद्र देवधरे व कोमल वाधवानी आदि ने भी रचनाओं का पाठ किया।

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