रामनाथ साहू ‘ननकी’
मुरलीडीह(छत्तीसगढ)
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नारी नहीं तो कुछ नहीं,
नारी नरों की खान है।
नारी हँसे तो जग हँसे,
आँसू झरे तो वीरान है॥
ये सृष्टि है शुभ वृष्टि है,
जीवन तृषा की तृप्ति है।
उर में अँधेरा है बहुत,
नव दीप की प्रिय दीप्ति है॥
अवसर मिले इनको अगर,
संभव करे जो है नहीं।
आगे बहुत निकली कभी,
निश्चित नहीं है कम कहीं॥
जो हक तुम्हारा है यहाँ,
अधिकार उसको चाहिए।
पीढ़ी गई बंधन कटे,
अब सत्कार इनको चाहिए॥
हिंसा नहीं बदला नहीं,
मत कर घृणा,अपराध है।
ये व्याभिचारी हरकतें,
तू छोड़, करता व्याध है॥
है अगर कोमलता लिए,
तो हैं दृढ़ पाषाण घने।
ये चित्त उज्जवला भरी ,
सहचारिणी पथ के बने॥
परिचय –रामनाथ साहू का उपनाम ‘ननकी’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९६४ है। इनका वर्तमान एवं स्थाई पता छत्तीसगढ़ स्थित ग्राम-मुरलीडीह (जिला-जांजगीर,चांपा)है। भाषा ज्ञान हिन्दी का है। ननकी की शिक्षा-बी. काम. है। कार्य क्षेत्र-कृषि है।सामाजिक गतिविधि के तहत संगीत एवं साहित्य की रूचि बढ़ाने में सक्रिय हैं। इनकी लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल,भजन एवं छंद बद्ध रचना है। ब्लॉग पर भी विचार रखने वाले श्री साहू की लेखनी का उद्देश्य-आत्म रंजन के साथ ही जन जागृति है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-समय और प्रकृति है।