आँसू

डाॅ. अरविंद श्रीवास्तव ‘असीम’दतिया (मध्यप्रदेश)************************************************* टपक-टपक कर आँसू कहते,किसको अपनी व्यथा सुनाऊँ।बीत गए युग सहते-सहते,कैसे अपनी बात बताऊँ। कभी-कभी पिछली यादों में,मन जब भी खो जाता है।प्रेम भरे झूठे वादों…

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शब्द हकीकत में भाव रस, समझे बिना लेखन संभव नहीं

इंदौर (मप्र)। शब्द हकीकत में औरत है इसे समझे बिना लेखन कर पाना संभव नहीं है। लेखन करने के लिए बहुत ज्यादा पढ़ने की जरूरत नहीं है, लेकिन परिदृश्य का…

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बाबा नागार्जुन की रचनाओं में कल्पना और वास्तविकता का अद्भुत संगम

इंदौर (मप्र)। उनकी रचनाओं में कल्पना और वास्तविकता का अद्भुत संगम है। उन्होंने संस्कृत में भी रचनाएं लिखीं।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. अग्निशेखर ने यह बात श्री मध्यभारत हिन्दी…

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राकांपा की फूट से विपक्षी एकता को झटका

ललित गर्गदिल्ली************************************** वर्ष २०२४ के चुनाव से पूर्व भारतीय राजनीति के अनेक गुणा-भाग और जोड़-तोड़ भरे दृश्य उभरेंगे, महाराष्ट्र में ताजा राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए तो ऐसा ही लगता…

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मेरे वतन की माटी

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** मेरे वतन की माटी की खुशबू, सुबह-शाम जिसे जब आती है,मन हो उठता है बाग-बाग सा, रूह होती तब मदमाती है। यह भक्ति-मुक्ति की पावन धरा…

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बालाजी से बढ़कर कोई नहीं

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** श्री बालाजी की भक्ति को जिसने समझा सही,उसे दुनिया से कोई शिकवा नहींश्री बालाजी से बढ़कर दुनिया में कोई नहीं,वो क्या जानेंगे, जिसने कभी भक्ति की ही…

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झूले पड़ गए बागों में

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** सावन का मतवाला मौसम, 'झूले पड़ गए बागों में',डाल हाथ में हाथ पिया, चल झूमें मस्त बहारों में। डाल-डाल पर बैठे पंछी मधुर रागिनी गाते हैं,सावन की…

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वीर सपूत

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हे भारत माता के वीर सपूतों तुम्हें सादर प्रणाम,हे भारत के रखवालों, वीर सपूतों तुम्हें प्रणाम। जब याद आती है, हे वीर सपूतों आपकी हमें,कितना कष्ट…

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कहीं ऐसा ना हो!

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** हरा, भरा यह खिलता उपवन,पतझड़ ही ना बन जाएभारत के भीतर भारत की,अस्मत ही न छली जाए। सच को सच, झूठे को झूठा,कहने मे संकोच जहांभारत वासी,…

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सावन वर्षा मुदित शिव

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* पावन सावन मास में, अम्बर है अभिराम।गर्जन तर्जन बिजुलिया, छाया है घनश्याम॥ देख मेघ प्रियतम सखा, वर्षा मुख मुस्कान।बनी नर्तिका वर्षिणी, बरसी रिमझिम गान॥…

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