डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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अंतरराष्ट्रीय मांसहीन दिवस (२५ नवम्बर)विशेष…
वर्तमान समय में रहन-सहन एवं खान-पान में काफी परिवर्तन हुआ है। लोगों ने तमाम प्रकार के जंक फूड के साथ-साथ अनेक जानवरों के मांस को भी खाना प्रारम्भ कर दिया है। मांसाहार हमेशा से ही मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रहा है, यह लोगों में कैंसर, मधुमेह, रक्तचाप, अस्थमा तथा हड्डी आदि से संबंधित रोगों का कारक होता है। इन सब बातों के मद्देनज़र बहुमुखी प्रतिभा के धनी टी.एल. वासवानी द्वारा वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थ के रूप में मांस के विरोध के लिए एक अभियान चलाया गया, इसलिए प्रतिवर्ष २५ नवम्बर को उनके जन्मदिन को ‘अंतरराष्ट्रीय मांसहीन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। श्री वासवानी ने जो अभियान चलाया था, उसका मुख्य उद्देश्य खाद्य पदार्थों के रूप में मांस का बहिष्कार करना था। श्री वासवानी ने दुनियाभर के लोगों से शाकाहार अपनाने के लिए दृढ़ता से आग्रह किया था।
इस अंतर्राष्ट्रीय दिन पर पर लाखों लोग मिलकर एक साथ शाकाहार अपनाने की प्रतिज्ञा लेते हैं। इस दिन उससे संबंधित नुकसान एवं फायदे का भी वर्णन करते हैं। यह अभियान समस्त प्राणियों के जीवन को सम्मानित एवं पवित्र मानता है, जो इस बात को प्रदर्शित करता है कि इसका उद्देश्य सिर्फ पशु वध को रोकने तक ही सीमित नहीं है। इस अभियान के सदस्य लोगों से आग्रह करते हैं कि कम से कम इस दिन मांस का सेवन ना करें। अभियान का कहना है कि इंसान के साथ-साथ जानवर भी कुछ मौलिक अधिकार के हकदार हैं। अभियान में समूह के लोग वर्षभर पूरी दुनिया में भ्रमण करते हैं तथा शाकाहार के प्रति जागरूक करते हैं। समूह द्वारा इस दिवस पर जानवरों तथा शाकाहार के प्रति जागरूकता लाने के लिए शांति मार्च तथा रैलियों का भी आयोजन किया जाता है। कुछ सदस्य शालाओं में कार्यक्रमों से बच्चों में पशुओं के लिए दया भाव विकसित करने की कोशिश करते हैं। इस दिन जानवरों की सुरक्षा हेतु सरकार का ध्यान इस ओर खींचने की कोशिश करते हैं, साथ ही इस दिन होटलों तथा से मांसाहारी भोजन न बनाने का आग्रह भी करते हैं।
आज मांसाहार से बचाना जानवरों के लिए अति आवश्यक है, इसमें कोई शक नहीं है, परन्तु यह मानव जीवन के लिए उससे कहीं ज्यादा उपयोगी है, क्योंकि वर्तमान में बढ़ती बीमारियां तथा बिगड़ता पारिस्थितिकी तंत्र बार-बार मानव को सूचित कर रहा है कि अपने विनाश को रोक लो, नहीं तो अनर्थ होने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा। इसकी एक छोटी-सी झलक ‘कोविड-१९’ ने दिखा भी दी है। ऐसे में अगर मानव चेत जाता है तो, मांसहीन दिवस मानव जाति के लिए वरदान साबित हो सकता है।
परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।