डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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बेटियों पर खूब,
कहानियां हैं
आज़ भी,
लिखीं जा रही है
कल भी लिखीं जाएगी,
लिखने की
शोभा बदस्तूर जारी है,
पर बेटे तो
आज़ तक बिल्कुल अनाथ हैं,
कोई नहीं साथ है।
कोई कहानी नहीं लिखीं जाती,
कोई मोल नहीं बताया जाता है
जिम्मेदारियों के बोझ से,
हरपल दबाया जाता है
लड़कों का शोर,
कभी नहीं सुना जाता है
बचपन से आज तक,
जिम्मेदारियों के बोझ
से दबा दिया जाता है।
हरपल बनना चाहता है,
घरवालों का अफ़रोज़ है
पर घरवालों को कहां,
फ़िक्र है उसकी ख्वाहिशों की
जिम्मेदारियों के बोझ से,
दबा जाता हर रोज है।
हरपल कितना,
सोचता रहता हूँ कि
कभी कोई तो उनकी भी,
खैरियत पूछे
फ़ुरसत कहां है घरवालों को कि,
कोई यहां यह सोचें।
बचपन,जवानी और बुढ़ापे तक,
जिम्मेदारियों का बोझ उठाता रहा
ग़म पर अकेले आँसू बहाता रहा,
घर-परिवार बेटे-बेटियों के
नखरे उठाता रहा,
मुश्किल पलों पर भी
यह बोझ शिद्दत से,
अकेले सम्भालता रहा।
कोई नहीं एक रहा मेरा,
सलामती पूछने वाला
वाह री दुनिया,
अद्भुत हर पल दिखता है
तुम्हारी ये रंगशाला,
जहां कोई नहीं है
मेरा रखवाला।
हमने बचपन जवानी और बुढ़ापा,
बड़ी शिद्दत से सब पर लगाया
पर मुझ पर कोई नहीं,
कभी नहीं,किसी ने नहीं।
किसी को भी नहीं,
कभी तरस आया॥
परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।