डॉ. मुकेश ‘असीमित’
गंगापुर सिटी (राजस्थान)
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रात का सपना ही था, हालांकि पता बाद में चला जब सुबह श्रीमती जी ने झिंझोड़ते हुए कहा,”अरे अभी तक बिस्तर में पड़े हो, आज तो स्वतंत्रता दिवस है। नीचे स्टाफ इंतज़ार कर रहा है, झंडा नहीं फहराना क्या ?”
लेकिन सपना था बड़ा ख़ूबसूरत। इस बार आजादी का अमृत महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा था। इसकी साल भर से तैयारी चल रही थी और इस बार योजना थी कि आजादी के अमृत महोत्सव में सबको आजादी के अमृत की २-२ घूंटें पिलाई जाएगी।
‘आजादी का अमृत’, जी हाँ, यूँ तो इस आजादी के अमृत पर पिछले पिचहत्तर साल से अनवरत अमृत मंथन चल रहा था, लेकिन पार्टियों की खींचा-तानी और आरोप- प्रत्यारोप की राजनीति से बार-बार ठन्डे बस्ते में चला जाता। प्रस्ताव कभी संसद में पारित ही नहीं हो पाया। अब की सरकार ने जैसे-तैसे विरोधी पार्टियों के सांसदों को बहला-फुसलाकर और कुछ वायदों की रपट पर फिसलाकर इसे पारित करवा लिया था, लेकिन सरकार है बड़ी तेज। जैसे ही प्रस्ताव पारित हुआ, इसके प्रोडक्शन के लिए एक्स्ट्रा फैक्ट्रीज, एक्स्ट्रा वर्कर लगाकर इसे जल्दी से तैयार करवा लिया था। कारण स्पष्ट था, इसका सारा श्रेय सत्तारूढ़ पार्टी अपने ही खाते में लेना चाहती थी। इसलिए, इसे चुनाव से पहले पूरे देश में बांट देना चाहती थी। यहाँ विरोधी पार्टियों का पैंतरा फैल हो गया। उन्होंने सोचा था कि प्रोडक्शन ये सरकार करवा लेगी, अगली बार जब हमारी सरकार आएगी, तब इसे बांटेंगे! पर सरकार देश के नाम एक कीर्तिमान बनाना चाहती थी, क्योंकि राजा को कुछ विदेशी ब्रांड के तमगे अपने कोट में लगवाने थे। इसलिए ये द्रुत गति से प्लान हुआ था। एक ही दिन में, एक ही समय अमृत की २ घूंट अमृत काल में जी रहे देशवासियों को पिलाई जाएगी। यहाँ एक छिपा हुआ कारण (हिडन क्लॉज़) छोड़ दिया था-जो अमृत काल में जी रहे हैं उन्ही के लिए, जो मर रहे हैं उनके लिए कोई अमृत की बूँदें नहीं! प्लानिंग कमिशन की विस्तृत रिपोर्ट इसको गाँव-गाँव पहुँचाने और वितरण करने के एवज में आ गई थी, लेकिन योग्य उम्मीदवार कैसे निर्धारित करें, यह एक समस्या थी। अब सरकारी खर्चे से तैयार आजादी का अमृत हर किसी ऐरे-गैरे नत्थू खैरे को तो पिला नहीं सकते, पचेगा ही नहीं। अंग्रेजों से आजादी मिली, वो भी तो लोगों को पची नहीं। ये अमृत भला क्या पचेगा!, क्योंकि देश तो अभी भी गुलाम था, अंग्रेजी मानसिकता का गुलाम! देश के कर्णधारों ने आजादी की परिभाषा बदल दी, कहा कि आजादी का मतलब है सब-कुछ करने की आजादी, अभिव्यक्ति की आजादी! बस फिर क्या, लोगों को खुलेआम देश में लूट-पाट करने, दंगे-फसाद करने, धर्म के नाम पर लड़ने की आजादी मिल गई। नेता-अफसरों को मनमानी करने की आजादी, धर्म के खिलाफ उल्टा-सीधा बोलने की आजादी, देशद्रोही नारे लगाने की आजादी, पुलिस को किसी को भी क़ानून के दायरे में लपेटने की आजादी, अदालत को मनमाने फैसले देने की आजादी, गरीबों व महिलाओं को सरेआम लूटने की आजादी, घूसखोरी, रिश्वत, बलात्कार, डकैती ,रंगदारी सभी काम जिसको जो अच्छा लगे करने की आजादी, किन्तु फिर भी कुछ लोग चिल्ला रहे हैं कि ‘हमें चाहिए आजादी’। उन्हें लगता है देश अभी भी गुलामी में जकड़ा हुआ है, बस इन्हीं लोगों के लिए बनाया गया था ये ‘आजादी का अमृत।’ अब तो सरकार को बस इसे बांटने का उचित अवसर था!, लेकिन पर्चा लीक की तरह ये खबर भी कुछ सत्ता के जयचंदों ने विरोधी दल को दे दी। फिर तो आँधी-तूफान मच गया! विरोधी दल ने नुस्खा चुराने का आरोप लगाया, बोले -“ये तो उनके एजेंडे में था, इसे चुराया गया, अगर ये बांटा जाएगा तो हम इसका विरोध करेंगे, धरना करेंगे, प्रदर्शन करेंगे, ये आजादी का अमृत नहीं, जहर पिलाया जा रहा है! इस अमृत के अंदर लिक्विड चिप्स लगी हुई है, जब चिप्स अमृत की बूंदों के जरिए मानव मस्तिष्क में चली जाएगी तब फिर जनता सत्ता के सरदार की भक्त हो जाएगी, सबका रिमोट कंट्रोल सत्ता के मालिक राजा के हाथ में आ जाएगा।”
इधर, प्रोडक्शन हो चुका था। हालात की गंभीरता को देखते हुए राजा ने जनता को दिलासा दिलाया कि हाँ हम बात करेंगे। आजादी का अमृत देश की बात है, देश की अस्मिता है, इसके लिए हम विरोधी दल से बात करने को तैयार हैं। राजा के आलीशान बंगले में बैठक आयोजित की गई। सबसे मुख्य आकर्षण रहा ‘आजादी अमृत’ का सर्व किया जाना। वैसे भी नेता लोग उत्सुक थे, घर से बीबियों ने भी १-१ टिफ़िन साथ में रख दिया था कि आते वक्त ‘आजादी का अमृत’ जरूर लेकर आना! विरोधी दलों को गिलास भर-भर कर पिलाया गया, इतना पिलाया कि विरोधी निढाल हो गए। फिर समझौते की वार्ता शुरू हुई। समझौता हुआ कि, सभी राजनीतिक दलों के सिटिंग, स्टैंडिंग सांसद, विधायकों और उनके परिवारों को स्पेशल कोटा दिया जाएगा। आजादी अमृत की क्रीमी लेयर विशेष रूप से इन्हें पिलाई जाएगी। फिर उनके कार्यकर्ता, उनके आश्रय में पले- बढ़े सभी बिजनेस टाइकून, दबंग रसूखदार, लठैतों को स्पेशल कोटा तय हुआ! फिर सीमा पार से आने वाले सभी शरणार्थियों के लिए रिजर्व कोटा रखा जाएगा। सबसे ज्यादा आजादी वो ही मांगते हैं, उन्हें स्पेशल कोटा दिया जाएगा। फिर देश में आरक्षण योजना के आधार पर आजादी का अमृत बांटा जाएगा। अल्पसंख्यक वर्ग के लिए स्पेशल कोटा, आजादी की मांग उनकी तरफ से भी काफी उठ रही है। इधर प्लानिंग कमिशन के अधिकारी थोड़ा-सा चिंतित दिखे। राजा ने बोला,-“भाई तुम्हारा मुँह क्यों लटका है, तुमने इतनी अच्छी प्लानिंग और वितरण की रूप- रेखा तैयार की है, गाँव-गाँव में आजादी के अमृत पहुंचाने की जो व्यवस्था है, वो लाजवाब है। इसके लिए तुम्हें इस बार स्वतंत्रता दिवस पर पुरस्कार किया जाएगा।” अधिकारी बोला,-“सर, ब्यूरोक्रेट्स वालों ने हाथ खड़े कर दिए, बोले आप इसे ऐसे फ्री में बांट रहे हो, हमारे हाथ-मुँह क्या लगेगा? इनके भी बीवी-बच्चे हैं।”
राजा ने हँसते हुए कहा,-“टेंशन नहीं लो, उसका भी प्लान है। १० प्रतिशत तुम्हारे और तुम्हारे बीबी- बच्चों के मुहँ के लिए भी कोटा फिक्स। रही बात हाथों के लिए तो उसका भी इंतज़ाम किए देते हैं! ‘रिजर्वेशन कोटा वालों को फ्री दिया जाएगा और जो बचेगा, उसका एक खुदरा मूल्य रखा जाएगा। राशन की दुकान पर फ्री बंटने वाला रखा जाएगा और पेमेंट पर पाने वाले के लिए टेंडर निकाले जाएंगे।”
टेंडर की बात सुनते ही अधिकारियों की बाँछें खिल गई। कुछ लोग बैठक हाल से बाहर निकल कर इस टेंडर प्रक्रिया की जानकारी अपनी रिश्तेदारों को देने में व्यस्त हो गए!
इधर, प्रोडक्शंस सेल का अधिकारी भी बैठा था, उसने कहा, “सर सरकारी खजाने से २ तिहाई रकम इस प्रोडक्शन में खपा दी गई है, अब इसकी पूर्ति कैसे करेंगे।”
राजा ने टैक्स डिपार्टमेंट के कमिशनर को तलब किया, -“इस मामले को देखा जाए।” फैसला हुआ कि इस बार इनकम टैक्स के साथ आजादी के अमृत का सरचार्ज टैक्स १० प्रतिशत और लगा दिया जाएगा। राजा की बुद्धिमत्ता पर सभी ने तालियाँ बजाई। राजा के प्रधान जी ने कहा कि “फिर इसकी घोषणा प्रेस- मीडिया बुलाकर कर दी जाए।”
तभी राजा को ध्यान आया, प्रेस-मीडिया को बुलाया तो वो स्पेशल कोटा कीमांग करेंगे, क्यूंकि उन्हें नहीं पिलाया तो ये आजादी के अमृत को भी जहर बनाकर पेश करेंगे। राजा ने कुछ सोचकर कहा, प्रेस कॉन्फ्रेंस रहने दो, मैं खुद आज शाम को ८ बजे इसकी घोषणा जनता के समक्ष सजीव उपस्थित होकर करूंगा। हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।