ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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माँ खेली पर्वत त्रिकुट, बन बालिका,
कर सेवा मन लक्ष्मी गौरी कालिका
स्थित गुफा पिंडी भवानी रूप में,
त्याग कर ऊँचे भवन अट्टालिका…।
मातु कर उपकार हिय पावन किया,
पुष्प श्रद्धा हार कर मानस दिया
हम खड़े ले द्वार तेरे वैष्णवी,
रूप तेरा बाल वृद्ध कुमारिका।
कर सेवा मन लक्ष्मी गौरी कालिका…
दे दया का दान माँ उपकार कर,
जिंदगी दो दु:ख भँवर उबार कर
है लुटाती माँ मेरी ममता सदा,
भक्त झोली भर बजाते तालिका।
कर सेवा मन लक्ष्मी गौरी कालिका…
योगमाया भैरवी तुम योगिनी,
तारणी तुम मातुभुवन मोहनी
विंध्यवासी माँ तू ही ज्वालामुखी,
रक्तवसना त्रिपुर सुंदरी अम्बिका।
कर सेवा मन लक्ष्मी गौरी कालिका…॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।