धर्मेन्द्र शर्मा उपाध्याय
सिरमौर (हिमाचल प्रदेश)
*******************************************************
गौ माता के भक्षक सुन लो,
तुम्हें एक दिन जलना होगा
किया जो पाप मुक प्राणी पर,
कर्ज उसका चुकाना होगा।
आर्यों की धरती पर रहकर,
दया-धर्म क्यों छोड़ दिया ?
श्रीराम-कृष्ण की इस धरती को,
गौ हत्या कर अत्याचार किया।
गौ अमृत की खान सदा से,
जिसने सबको जीवन दान दिया
देव तुल्य उस सनातन माँ का,
एहसान भी तुमने भुला दिया।
हर जाति-धर्म के बच्चों को पाला,
नहीं कभी भेदभाव किया
अपने कपट-द्वेष की खातिर,
उस अबला को मार दिया।
भूल गए उपकार उस माँ का,
हे असुर तुम्हें दया ना आई
चुकाना होगा हिसाब पापों का,
ममतामयी गौ हत्या का।
भस्म कर देगा तुमको,
गौ रक्षक गोपाल का
अत्याचार किया गौ माँ पर,
तो मौन हमारा टूटेगा।
होगा जो माँ का सपूत तो,
नहीं सहन कर पाएगा
वंदे मातरम्, जय गोपाल से,
तब आकाश गूंजेगा।
भक्ति की मूर्ति के कोप से,
तुम्हें एक दिन जलना होगा
शरण दी जिसने अपने अंचल में,
उसे एक दिन छोड़ना होगा।
अत्याचार किया था गौ पर,
रावण, कंस, सहस्त्रबाहु ने
पाप अग्नि में जलना पड़ा था,
उन असुर गौ हत्यारों को।
मुगल, फिरंगी के इतिहास को,
तुमने तो पढ़ा ही होगा
नाश हुए समूल सभी,
क्या फिर इतिहास दोहराना होगा ?
पुरगाथाओं ने बताया,
गौ सेवा को करना होगा
जाग जाएगा हिंदू जिस दिन,
उस दिन कर्ज चुकाना होगा।
गौ माता के हत्यारे सुन लो,
तुम्हें एक दिन जलना होगा
गौ माँ की सेवा ना करके,
दुःख व कष्ट सहना होगा।
हे सठ, मूर्ख, अज्ञानी, पाखंडी,
गौ माँ पर दया करो।
गौ माँ की सेवा करो,
तुम गौ माता की सेवा करो॥