श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
*******************************************
ऐ मेरे वतन के भाई-बहनों,
जरा आँख में भर लो पानी
कहो कैसे जिएंगी हम नारी,
कैसे बचेगी मेरी जिंदगानी ?
क्यों करते हम नारी पर शोषण!
कितने निर्दयी हो, दुराचारी
तुम्हारे ऐसे व्यवहार से, लज्जित हैं
तुझे जन्म देने वाली महतारी।
रे पापी क्यों नहीं समझते हो तुम,
सब भारतमाता के हैं बेटा-बेटी
एक ही अन्न-जल खाकर पले हैं,
एक ही वसुंधरा की हैं माटी।
ऐ मेरे वतन के लोगों हमें छुपाओ,
मेरे भारतीय वीर बचा दो लाज
नारी सुरक्षा के लिए ही पहने हो,
वतन के कफन का तुम ताज।
अब तो हार गई भारतमाता भी,
सभी अपनों को समझाकर
कुत्तों जैसे टूट पड़ते हैं दुराचारी,
माँ लज्जित हैं यह बेशर्मी देखकर।
दुराचारी की जन्मदाता माँ भी,
लज्जित हैं तुझे पैदा करके
तुम्हारी घिनौनी दरिंदगी सुनकर,
जी रही होंगी हर पल मर-मर के।
कसो कमर तलवार, बनाओ एकता,
बहन-बहन मिलके, मिटाएंगे दुष्टता।
जागो, जागो, जागो हे भारत की नारी,
हर नारी के जागने की, आई है बारी॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |