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मान-अपमान

वीना सक्सेना
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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“मम्मी जी खाना लग गया है,गरम-गरम खा लीजिएl” बहू ने आकर मालती जी को दोपहर के भोजन के लिए बुलाया।
ऐं..l मालती जी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि,आज उनकी बहू ने बगैर उनसे पूछे पूरा खाना बना लिया,थोड़ा-सा दुख भी कि,उनकी अहमियत अब परिवार में कम होती जा रही है। भारी मन से उठकर डाइनिंग टेबल पर आई,आश्चर्य कि खाना उन्हीं की पसंद का था। फिर भी मुझसे पूछे बगैर ही…l कुछ ठीक नहीं लग रहा था उन्हें…l उन्होंने पति से इस बात की शिकायत कि,-“यह देखो मुझसे पूछे बगैर यह पहले कुछ नहीं करती थी, और अब इसने मुझे काटना शुरू कर दिया है।” पति ने कहा-“अरे,तुम तो हर बात पर ही चिढ़ती होl जब वह पूछती थी तो भी तुम झल्लाती थी, कहती थी-अरे इतने दिन से सिखा रही हूँ,शादी को पांच साल हो गएl अभी तक छोटी-छोटी सी बात पूछती रहती हो। नहीं पूछती है तो तुम्हें बुरा लगता है।”,कहकर वह करवट ले सो गए। वह दोपहर के भोजन के बाद थोड़ा सोना पसंद करते थे। थोड़ी देर मालती जी सोचती रही,और फिर उन्हें भी एक झपकी आ गई।
शाम को जब उनकी नींद खुली तो उन्होंने देखा ड्राइंग रूम में उनका बेटा आ चुका था। बहु किचन में कुछ बना रही थी। वह भी आकर ड्राइंग रूम में बैठ गई,अंदर से बहू चाय और बैंगन के भजिए बना के लाई। बैगन के भजिए मालती जी को बहुत पसंद थे,पर मन तो अनमना-सा ही था। ऐसे तो यह मेरी अहमियत ही खत्म कर देगी…, इतनी कितनी सयानी हो गई कि अपने मन से ही निर्णय लेने लगी। अभी वह बैठी ही थी कि,बहू अंदर से गिफ्ट पैकेट लेकर आई,और उनके पाँव छू कर देने लगी। वह एकदम से चौंक गई,आज ना तो उनका जन्मदिन था,ना विवाह की वर्षगांठ और ना ही कोई मदर्स-डे अचानक आज किस खुशी में ? बहु ने कहा-“मम्मी जी,आज इनमें से कोई-सा दिन नहीं है,पर आज टीचर्स-डे है,और हमारी गुरु तो आप ही हैं..आपसे ही हमने दुनियादारी,संस्कार,घर-गृहस्थी,और रसोई की बारीकियां सीखी हैl तो हुई ना आप हमारी शिक्षिका,तो शिक्षक दिवस पर आपको मेरी तरफ से यह एक छोटी-सी भेंट। और बताइए आज मैंने अपने मन से सारा काम किया,मैं पास हुई या फेल।”
अब मालती जी को पूरी बात समझ में आ चुकी थी,उन्होंने अपनी बहू को गले लगा कर आशीर्वाद दिया। सोंचने लगी-“हे भगवान! मैं भी क्या सोच रही थी….।”

परिचय : श्रीमती वीना सक्सेना की पहचान इंदौर से मध्यप्रदेश तक में लेखिका और समाजसेविका की है।जन्मतिथि-२३ अक्टूबर एवं जन्म स्थान-सिकंदराराऊ (उत्तरप्रदेश)है। वर्तमान में इंदौर में ही रहती हैं। आप प्रदेश के अलावा अन्य प्रान्तों में भी २० से अधिक वर्ष से समाजसेवा में सक्रिय हैं। मन के भावों को कलम से अभिव्यक्ति देने में माहिर श्रीमती सक्सेना को कैदी महिलाओं औऱ फुटपाथी बच्चों को संस्कार शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। आपने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है।आपकी रचनाएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक़ी हैं। आप अच्छी साहित्यकार के साथ ही विश्वविद्यालय स्तर पर टेनिस टूर्नामेंट में चैम्पियन भी रही हैं। `कायस्थ गौरव` और `कायस्थ प्रतिभा` सम्मान से विशेष रूप से अंलकृत श्रीमती सक्सेना के कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुए हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित हो चुके हैंl आपका कार्यक्षेत्र-समाजसेवा है तथा सामजिक गतिविधि के तहत महिला समाज की कई इकाइयों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैंl उत्कृष्ट मंच संचालक होने के साथ ही बीएसएनएल, महिला उत्पीड़न समिति की सदस्य भी हैंl आपकी लेखन विधा खास तौर से लघुकथा हैl आपकी लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को अभिव्यक्ति देना हैl

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