आशा आजाद`कृति`
कोरबा (छत्तीसगढ़)
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संग चले नित झूठ दिखावा,मिथ्या नाम है।
है घनिष्ठ निज छल से नाता,छलना काम है॥
भ्रमित जाल फैलाये रखती,ऐसी भावना,
मनुज हृदय पर देती झूठी,मंगल कामना।
दूर रहे मानव नित मुझसे,शुभ पैगाम है,
संग चले नित झूठ दिखावा,मिथ्या नाम है…॥
बीच प्रेम के मैं घुस जाती,सुख निज लूटती,
रिश्ते-नाते सब टूटे पर,कभी न टूटती।
आँख मूँदकर जो चलते हैं,उन्हें प्रणाम है,
संग चले नित झूठ दिखावा,मिथ्या नाम है…॥
धोखेंबाजी के पथ चलकर,देती पीर को,
अस्त्र शस्त्र मानती नित्य मैं, बहती नीर को।
व्यर्थ बखेड़ा खड़ा करूँ मैं,धोखा धाम है,
संग चले नित झूठ दिखावामिथ्या नाम है…॥
शब्द-शब्द में करुणा रखती,धन का लोभ है,
बंधन प्यारे टूटे पर भी,तनिक न क्षोभ है।
नहीं आत्म मंथन जो करते,दु:ख परिणाम है,
संग चले नित झूठ दिखावा,मिथ्या नाम है…॥
मूर्ख मनुज है जो जीवन में,मुझको ढालते,
तुच्छ बुद्धि पर बिना विचारे,क्यों है धारते।
विचरण करती नहीं तनिक भी,नहीं लगाम है,
झूठ दिखावा नित संग चले,मिथ्या नाम है…॥
हे मानुष बंधन को समझें,सुंदर सार दे,
मुझे दूर करके जीवन में,शुभ व्यवहार दे।
सत्य परख पर मेरा लगता,पूर्ण विराम है,
झूठ दिखावा नित संग चले,मिथ्या नाम है…॥
परिचय–आशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा,छत्तीसगढ़)में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत श्रीमती आजाद को हिंदी,अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक.(व्यवहारिक भूविज्ञान)तक शिक्षित श्रीमती आजाद का कार्यक्षेत्र-शा.इ. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। इनकी लेखन विधा-छंदबद्ध कविताएँ (हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा)सहित गीत,आलेख,मुक्तक है। आपकी पुस्तक प्रकाशाधीन है,जबकि बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख,शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं। ब्लॉग पर लेखन में सक्रिय आशा आजाद की विशेष उपलब्धि-दूरदर्शन, आकाशवाणी,शोध-पत्र हेतु सम्मान पाना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित में संदेशप्रद कविताओं का सृजन है,जिससे प्रेरित होकर हृदय भाव परिवर्तन हो और मानुष नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामसिंह दिनकर,कोदूराम दलित जी, तुलसीदास,कबीर दास को मानने वाली आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (जनकवि कोदूराम दलित जी के सुपुत्र)हैं। श्रीमती आजाद की विशेषज्ञता-छंद और सरल-सहज स्वभाव है। आपका जीवन लक्ष्य-साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन सार्थक होगा। देवी-देवताओं और वीरों के लिए बड़े-बड़े विद्वानों ने बहुत कुछ लिख छोड़ा है,जो अनगिनत है। यदि हम वर्तमान (कलयुग)की पीड़ा,जनहित का उद्धार,संदेश का सृजन करें तो निश्चित ही देश एक नवीन युग की ओर जाएगा। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है,यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह,अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”