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लापरवाही विनेश की, किसी का भी दोष नहीं

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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आज का दिन खेल इतिहास में दुखद दिन के रूप में सदैव याद रखा जाएगा। कल तक पूरा भारत खुश था कि, हमें एक पदक निश्चित रूप से मिलेगा ही मिलेगा, पर कहते हैं ना “किस्मत कब बदल जाए, यह कोई नहीं कह सकता।” देश में खुशी के पल आते-आते दु:ख में बदल गए। आज हमने ओलम्पिक जैसे बडे़ अवसर में देश के लिए एक पदक को खो दिया है।
हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले महिला पहलवान विनेश फोगाट कोना सिर्फ हौंसला दिया, बल्कि अध्यक्ष पी.टी. उषा को विरोध दर्ज कराने को भी कहा, पर देश की विडम्बना है कि, विपक्ष और उसके समर्थक बिना ओलम्पिक के नियमों को जाने ही गंदी राजनीति करने‌ में लगे हैं, और जहाँ पहलवान की लापरवाही हुई है, उसका दोष सत्तापक्ष पर मढ़ने में। सभी जान लें कि, ओलम्पिक के अपने नियम होते हैं, वहाँ भारत की राजनीति का कोई काम नहीं है, लेकिन इसे राजनीति का रंग देने वालों के लिए सोचने वाली बात है। अगर राजनीति करनी होती तो पहले ही इतने बडे़ अवसर ओलम्पिक में, इतनी सुविधाओं से सज्जित कराकर विनेश फोगाट को नहीं पहुँचाया जाता, जबकि विनेश फोगाट ने महिला पहलवान आंदोलन में कहा था कि “मोदी तेरी कब्र खुदेगी…।” तब ही देश के प्रधानमंत्री को धमकी देने और अनुशासनहीनता के जुर्म में इनको को ओलम्पिक में नहीं जाने दिया जाता। यकीन मानिए, अगर ऐसा किसी अन्य देश के खिलाड़ी, उनके देश में करते तो उनका भविष्य (कैरियर) खत्म हो चुका होता, किन्तु हमारे यहाँ खिलाड़ियों से बिना बैर रखे उनको आगे बढ़ने, देश का प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया गया।
इसके अलावा पहले यानी २०१६ में पहलवान विनेश ५३ किलोग्राम वर्ग में खेलती थी, जो मार्च २०२४ में भारत में ओलम्पिक परीक्षण के दौरान ५३ कि.ग्रा. वर्ग में अपनी कनिष्ठ अंजू से हारी थी। फिर जबरदस्त हंगामा करके ५० कि.ग्रा. वर्ग में उसी दिन परीक्षण में शिवानी को हराया और ओलम्पिक के लिए स्वयं को योग्य साबित किया था। तब ५० किलोग्राम वर्ग के पहलवानों ने इसका जमकर विरोध किया था, लेकिन विनेश का हंगामा ज्यादा भारी पड़ा। फेडरेशन को विनेश की नाजायज मांग के सामने झुकना पड़ा और बिना परीक्षण सीधे खेलने की इच्छा को मानना पड़ा, आज परिणाम आ गया उस जिद का।
सीधी-सी बात है कि, अगर विनेश फोगाट को ५० कि.ग्रा. में अपने वजन को घटाकर खेलने का अवसर मिला ही था, तो उसे ध्यान रखना था कि वह एक रात पहले आहार तालिका के हिसाब से स्वयं क्या खा रही है। विनेश फोगाट ने जो खाया, उसमें किसी का कोई दोष नहीं है। यह खुद का निर्णय था। लापरवाही भी स्वयं विनेश ने ही की है, पर हम सबको पता ही है भारत के विपक्ष की विडम्बना है कि, हर बात पर राजनीति करनी है।
पहले भी महिला पहलवानों को गलत राजनीति में विपक्ष ने मुद्दा बनाने के लिए उलझाया था, पर खिलाड़ियों को याद रखना चाहिए कि, खेल में राजनीति से नहीं बल्कि अभ्यास और निरंतर अनुशासन से ही सफलता मिलती है। अफसोस है कि, व्यर्थ की राजनीति में पड़कर पहलवानों ने अभ्यास और अनुशासन खो दिया है। फिर भी महिला पहलवान को हिम्मत नहीं हारना चाहिए। हार- जीत होती रहती है। आगे और भी अवसर आएंगे एवं पदक मिलेंगे, बस अनुशासन-अभ्यास की निरंतरता बनाए रखनी होगी। तुलसीदास जी रामायण में लिखते हैं कि,-
‘कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करहि सो तस फल चाखा…।’
एक सच ये भी है कि, विनेश का वजन ५२ किलो १०० ग्राम है, यानि तय सीमा की छूट २ किलो से १०० ग्राम ज्यादा। यानी वास्तव में २ किलो ज्यादा, इसलिए उसे आगे ५५ किलोग्राम के लिए ही मेहनत करना चाहिए।

सभी सदैव याद रखें कि, ओलम्पिक में भारत का संविधान नहीं चलता, वहाँ अपने नियम हैं, जो सब खिलाड़ियों को मानकर खेलना पड़ता है।