ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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तर्क ही शास्त्र सम्मत तथ्य है,
युद्ध सर्वनाश यही बचाता
स्वस्थ समाज की आवश्यकता,
सदा तर्क प्रगति राह सुझाता…।
अज्ञान कुतर्क करता संक्षिप्त,
सर्व संवाद से हल हो जाता।
उद्दिग्न क्रोध, व घृणा तपा तन,
समरस संवाद वितर्क हटाता…।
कर शांत चित्त धैर्य का धारण,
जो अपना मार्ग स्वयं बनाता।
प्रति सोपान थम-थम कर चढ़ता,
लक्षित उच्चवर्ती स्थान पाता…।
तर्क ले जाता शांति मार्ग पर,
मैं ही श्रेष्ठ की अहम न आता
ज्ञान चक्षु संवाद ही खोले,
तर्क ही मन कुंठित खुलवाता…।
छोड़ प्रतिक्रिया क्रिया अड़चन,
अपने प्रयोजन बढ़ते जाता
आवेश विहीन रहे अविचलित,
वही जा लक्ष्य का गढ़ ढहाता…।
वाक वीर नहीं श्रुतिधर बनकर,
मौन से स्मरण तीक्ष्ण बनाता।
तुच्छ अहंकार कल्मष समझे,
साम्यावस्थ दिनचर्या बिताता…॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।