अंजना सिन्हा ‘सखी’
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
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साथ तुम्हारा बना रहे सुन, ओ मेरे हमराज।
दिन को रात कहो तो वो ही, मैं कह दूँ सरताज॥
तुम ही मेरी चाहत हमदम, बनना मत अनजान,
दूर तलक हम संग चलेंगे, ये दिल में अरमान।
कभी नज़र से दूर लगूँ तो देना तुम आवाज़…,
साथ तुम्हारा बना रहे सुन, ओ मेरे हमराज…॥
तुमसे बेहद प्यार हुआ है, कर लेना स्वीकार,
लहू बने तुम दौड़ रहे हो, तन में मेरे यार।
तुमसे ही मेरे जीवन के, सजे हुए सुर-साज…,
साथ तुम्हारा बना रहे सुन, ओ मेरे हमराज…॥
हृदय सल्तनत पर बैठे हो, तुम बनकर सुल्तान,
दूरी सही न जाए पल भर, लगे निकलने जान।
ज़रा तुम्हारी नाराजी से, ये दिल हो नासाज…,
साथ तुम्हारा बना रहे सुन, ओ मेरे हमराज…॥