पटना (बिहार)।
साहित्य के संसार में कुछ भी था या थी नहीं होता। वह किसी भी पीड़ा को दबी-छुपी नहीं रहने देता। साहित्य काल न्याय करता चलता है। जीवन से जो चला गया, लेखक उसे साहित्य के पन्नों पर दर्ज कर लेता है। हर समय कोई सर्वोत्तम नहीं लिख सकता।
प्रसिद्ध कथा लेखिका ममता कालिया ने रविवार की शाम ‘नई धारा’ पत्रिका के उद्द्योत्सव में उदयराज सिंह स्मारक व्याख्यान में ‘समकालीन चुनौतियाँ और साहित्य’ विषय पर यह बात कही। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने की। उन्होंने ‘नई धारा’ से जुड़ी अनेक स्मृतियों का उल्लेख करते हुए प्रशंसा की।
ममता कालिया को वर्ष २०२४ के उदयराज सिंह स्मृति पुरस्कार से सम्मानित करते हुए अंजनी कुमार सिंह ने शॉल, प्रशस्ति-पत्र, प्रतीक चिह्न सहित १ लाख ₹ की राशि भी भेंट की। प्रधान संपादक डॉ. प्रमथराज सिन्हा ने अशोक कुमार सिन्हा, रामकिशोर उपाध्याय और अलका सिन्हा को ‘नई धारा रचना सम्मान से नवाजते हुए सभी को अंगवस्त्र, प्रशस्ति-पत्र, प्रतीक चिह्न सहित राशि भेंट की।
आरंभ में स्वागत भाषण में डॉ. सिन्हा ने सभी लेखकों को बधाई देते हुए सहयोग बनाए रखने की अपील की। अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि संग्रहालय को लोग केवल अतीत की वस्तुओं से जोड़कर देखते हैं, लेकिन अब उसकी भूमिका सांस्कृतिक अभियानों को सक्रिय रखने में भी है और इसी लिए हमने इस साहित्यिक उत्सव में अपनी भागीदारी दर्ज की।
संपादक एवं कवि-आलोचक डॉ. शिवनारायण ने इस अवसर पर ‘नई धारा’ का इतिहास बताया। सम्मान’ से नवाजे गए व्यंग्यकार रामकिशोर उपाध्याय, जीवनीकार अशोक कुमार सिन्हा आदि ने भी अपनी भावना व्यक्त की।
उदत्योत्सव का आरंभ बिहार की प्रथम महिला आईपीएस एवं उदयराज सिंह की सुपुत्री मंजरी जारुहार की आत्मकथात्मक पुस्तक ‘मैडम सर’ पर केन्द्रित चर्चित लेखक-पत्रकार डॉ. ध्रुव कुमार के विशद संवाद से हुआ।समापन लेखिका डॉ. रूबी भूषण के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।