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अंहकार नहीं,सौहार्द्र ही जीवन

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष….

अहंकार का नशा बहुत मतवाला होता है,
मनुष्य नहीं,स्वयं का ही रखवाला होता है।
सौहार्द,स्नेह,प्रेम,सहयोग ही है सफल मन्त्र-
अहम क्रोध,केवल बुद्धि का दिवाला होता है॥

वो कहलाता सभ्य सुशील,जो सरल होता है,
वो कहलाता विनम्र शालीन,जो तरल होता है।
इसी में है बुद्धिमानी कि,व्यक्ति प्रेम से रहे-
वही बनता सर्वप्रिय,जो नहीं गरल होता है॥

अहंकार जीवन के लिए एक विषैले सर्प समान है,
कभी करे न त्रुटि स्वीकार,उस दर्प समान है।
यह ईश्वरीय विधान है कि,घमंड सदा रहता नहीं-
वह कभी नया सीख न पाये,मादक गर्व समान है॥

साधन शक्ति संपत्ति सदा एक से कभी रहते नहीं हैं,
अभिमानी को लोग सफल कभी कहते नहीं हैं।
वाणी का कुप्रभाव सदा ही,पड़ता है भोगना-
जान लीजिए सदैव यह जहर,लोग सहते नहीं हैं॥

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