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अपनी निशानी छोड़ जा

अंजना सिन्हा ‘सखी’
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
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आया है जग में तू प्यारे, अपनी निशानी छोड़ जा।
दुष्कर्मों से अपना नाता, ऐ प्राणी तू तोड़ जा॥

मिट्टी की है काया मानव, मिट्टी में मिल जाना है।
जैसा कर्म करेगा प्यारे, वैसा ही फल पाना है॥
इस धरती से राम नाम की, पावन चादर ओढ़ जा,
आया है जग में तू प्यारे, अपनी निशानी छोड़ जा…॥

तम के पथ दीप जलाना, तम को सदा मिटाना तू।
भूखे प्यासे जो मिल जायें, उनको भोग चढ़ाना तू॥
दूर घृणा से हरपल रहकर, प्रेम से रिश्ता जोड़ जा,
आया है जग में तू प्यारे, अपनी निशानी छोड़ जा…॥

काम क्रोध मद लोभ मोह से, प्यारे दूर सदा रहना।
राम नाम है गंगा धारा, उसके साथ सदा बहना॥
कहे ‘अंजना’ व्यसनों से तू, अपने मुख को मोड़ जा,
आया है जग में तू प्यारे, अपनी निशानी छोड़ जा…॥