जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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पर्यावरण दिवस विशेष….
धरा पर पेड़ पौधों का सजा जो आवरण है।
मिला नदियों से हमको स्वर्ग का वातावरण है।
न डालो मैल नदियों में न काटो पेड़ मानो,
विषैले रोग को सीधा बुलावा यह वरण है।
अभी जागे नहीं तो नस्ल का नुकसान होगा,
सभी बीमारियों का मूल ही पर्यावरण है।
सभी ये जानते तो हैं नहीं क्यों मानते हैं,
हुआ पथ भ्रष्ट जाने क्यों हमारा आचरण है।
बहुत नक्षत्र हैं ब्रम्हांड में पर हम कहाँ हैं,
हमें धरती हमारी दे रही अब भी शरण है।
अभी कलयुग की दस्तक है धरा पे शोर देखो,
अनोखे रोग विष कण का तभी आया चरण है।
हिमालय क्रोध में है और समंदर में तपिश है,
हमारी त्रुटियां ‘हलधर’ हमारा आमरण है॥