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अलकनंदा

तृप्ति तोमर 
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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नील रंग लिए बहती अलकनंदा,
जैसे खुले आकाश में पंख फैलाने कोई परिंदा।

भागीरथी संग मिल बना पवित्र संगम,
असंख्य श्रद्धालुओं का होता समागम।

अलकनंदा पावन धरती पर पावन नदी का महातम,
अनेक पवित्र नदियों का यहां से होता उदगम।

यहाँ कई लोगों का जुड़ा है विश्वास,
जहां जाने से मिलता शांति का एहसास।

सारी नदियों की है अपनी कहानी,
अलकनंदा बयां करती अपनी जुबानी।

अलकनंदा का स्वर जैसे कलकल करता जल,
सारा समां जैसे सुनता दास्तान हर पल।

नीलमय रूप है जिसका जैसे कोई दर्पण,
प्रतीत होता नीचे गगन ने किया हो दृश्य समर्पण।

अलकनंदा और प्रकृति का है ऐसा रिश्ता,
जैसे परमात्मा का आत्मा से है नाताll

परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका  साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और  पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। 

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