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आज निराशा घन झड़ी घेरी…

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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अनुकूला छंद आधारित….

व्याकुल पाखी विरह की तेरी,
बहुत पुकारा गगन से टेरी।
श्याम धवल बदरिया छाई,
आज निराशा घन झड़ी घेरी…॥
आज निराशा…

ब्याह रचा दुख हृदय से पापी,
बांँह पसारे तक रहा काँपी
नैनन साथी लहरिया उमड़ा,
नेह सजाए भर रखी झाँपी।
प्रितम तेरे गवन सुख‌ जाना,
आ अब जाओ न करना देरी…॥
आज‌ निराशा…

कोइ पता संदेश न ही टोही,
मंतर मारा मति सुधी को ही
बाँध रखी सौतन व कोई क्या,
या भटका पथ पथिक निर्मोही।
भाग्य लुटेरा नगरिया लूटा,
साजन भी वो छिन गया मेरी…॥
आज निराशा…

देह हुआ सूख कर कृश काँटा,
पल्लव टहनी विहिन ज्यों छांटा
दंश धरे विषधर के तन-मन में,
पीर गया अंतस नहीं बांटा।
बावरिया-सी तड़पती‌ पूछे,
बोल कहाँ साजन सखी ऐ री…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।