दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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धरती से उड़कर आदित्य,
उस आदित्य ओर चला।
बदल-बदल कर वह कक्षाएं,
एक बार फिर वो सम्भला।
‘इसरो’ की आशाएं उस पर,
भारत-विश्व स्वाभिमान है।
‘अजस्र’ भास्कर देख नजारा,
विस्मय स्वर उससे निकला।
कदम-कदम आगे ही बढ़ता,
‘आदित्य’, ‘आदित्य’ का है जो पथिक।
‘इसरो’ ने पाथेय दिया जो,
मार्ग कट गया सभी, क्षणिक।
‘लक्ष्य सफल हो’ भारत-जन,
सब देते हैं उसको आशीष।
भारत-अजस्र अंतरिक्ष प्रसारित,
उस आदित्य की भावी जीत।
टिक-टिक, टिक-टिक घड़ियाँ गिनते,
एक-एक सब इसरोजन।
कण-कण से क्विंटल कर डाला,
तुम सबको ‘अजस्र’ नमन।
भारत के कोने-कोने से,
आशीष मिले प्रबल, घनघोर।
भारत भावी भविष्य निर्भर,
तुम पर ही, हे…! जन गण मन॥
परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|