ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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जब…
समय के पार,
सिर्फ एक बार…
लेकर तुम्हारी शरारतें,
तुम्हें अपने दिए नाम से पुकारते…
आऊँगी एक बार,
तुम्हारे एहसासों को देने धार…
तब तुम कमाल होगे,
तब तुम निहाल होगे…
तुम्हारे चश्में के बढ़े नम्बरों में ढूंढूंगी,
तुम्हारी धड़कनों में गुथूंगी…
अरमानों का वह हार,
जो बिखर गया था पिछली बार…
तब तुम खो जाओगे,
मेरी झुर्रियों में सुकून पाओगे…
जो फिसल गई थी,
चुपके से निकल गई थी…
तुम्हारी आराधना,
मेरी साधना…
अधूरी थी,
लेकिन जरूरी थी…।
उसे पूरी करेंगे,
हाँ, हम मिलेंगे…॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।