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इश्क़ में…

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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इश्क़ में,
नहीं बना सकता
एक शहंशाह की तरह
हसीं ताज महल,
नहीं भटक सकता
वीराने सहरा में,
झुलसती धूप में
नंगे पाँव।
बनकर मजनूं,
दुर्गम पहाड़ियों को
काटकर नहीं ला सकता,
फ़रहाद की तरह
दूध की नदियाँ।
नहीं कूद सकता,
उफ़नती नदी में
महिवाल की तरह,
वादा नहीं कर सकता
आसमान से,
चाँद-तारे
तोड़ कर लाने का,
पर इतना
तय है कि-
मैं तुम्हारे साथ
मर तो सकता हूँ।
पर बगैर तुम्हारे,
जी नहीं सकता॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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